सऊदी अरब एक नया शहर और बिज़नेस ज़ोन की योजना.
इस योजना पर सऊदी अरब की सरकार 500 अरब डॉलर से ज़्यादा की रकम खर्च करने जा रहा है.
क्राउन प्रिंस मोहम्मद अली बिन सलमान ने कहा है कि 26,500 वर्ग किलोमीटर का ये बिज़नेस ज़ोन मुल्क के उत्तर-पश्चिमी इलाके में विकसित किया जाना है.
इसका विस्तार मिस्र और जॉर्डन की सीमा तक होगा. इस बिज़नेस ज़ोन में फ़ूड टेक्नॉलॉजी, ऊर्जा और पानी के क्षेत्र पर ख़ास ध्यान दिया जाएगा.
सऊदी क्राउन प्रिंस इन दिनों तेल से होने वाली आमदनी पर मुल्क की निर्भरता को कम करके कमाई के दूसरे रास्ते खोज रहे हैं.
अगस्त में सऊदी अरब ने लाल सागर के 50 द्वीपों और दूसरी जगहों को टूरिस्ट रिजॉर्ट में बदलने की योजना सामने रखी थी.
बीबीसी के आर्थिक संवाददाता एंड्रूय वॉकर के मुताबिक़ क्राउन प्रिंस मोहम्मद अली बिन सलमान की महत्वाकांक्षाएं हक़ीकत से कितनी क़रीब हैं और कितनी दूर, इन पर सवाल उठना लाज़िम है.
कच्चे तेल की कीमत
सऊदी अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना के लिए आने वाले सालों में सऊदी सरकार पैसा देगी. इसके अलावा स्थानीय और विदेशी निवेशकों से भी पैसा जुटाया जाएगा.
एक सरकारी बयान में कहा गया है, 2030 तक ये परियोजना सऊदी अरब की जीडीपी में 100 अरब डॉलर तक योगदान कर सकती है.
ये घोषणा सऊदी अरब की राजधानी रियाद में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय बिज़नेस कॉन्फ्रेंस में की गई. मिस्र और जॉर्डन ने फिलहाल इस परियोजना पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस विज़न 2030 पर काम कर रहे हैं. इसके तहत वे मुल्क को आधुनिक और विविधतापूर्ण बनाना चाहते हैं. सरकार की कमाई का सबसे बड़ा स्रोत तेल है.
तीन साल पहले कच्चे तेल की कीमत आज गिरकर आधी रह गई है. लंबे समय के लिए भी इस पर जलवायु परिवर्तन का साया मंडराता रहेगा.
इससे निपटने की अंतरराष्ट्रीय कोशिशें जिस तरह से हो रही हैं, उसका मतलब ये है कि तेल उत्पादन करने वाले देशों के लिए बाज़ार सिकुड़ता जाएगा.
Source: बीबीसी हिन्दी
खिलौना समझ रहे थे...मालूम चला तो भाग पड़े
छुट्टियों में अपनी फैमिली के साथ बाहर घूमकर समय बिताने से ज्यादा अच्छी चीज क्या होगी? खासकर, जब समुद्र किनारे आपको अपने परिवार के साथ जाने का मौका मिल जाए।
आज तक आपको हमनें ऐसी कई घटनाओं के बारे में बताया, जब समुद्र किनारे घूमते हुए लोगों को कीमती चीजें जैसे व्हेल मछली की उलटी या सीप में छिपी मोती मिली थी। लेकिन आज जिस घटना के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उसमें अगर थोड़ी सी भी लापरवाही बरती जाती, तो कई लोगों की मौत हो जाती।
ये घटना यूनाइटेड किंगडम के वेल्स में रहने केली ग्रेवल के साथ घटी थी। अपने पति और दो बच्चों के साथ बर्री पोर्ट घूमने गई केलि समुद्र किनारे टहल रही थीं। तभी उनके बच्चों की नजर एक अजीब सी चीज पर पड़ी। ये चीज सीपों से ढंकी हुई थी। उनमें से किसी ने भी ऐसी चीज पहले कभी नहीं देखी थी। चूंकि, इसका आकार गोल था, इसलिए बच्चे उसे गेंद समझ उसके साथ खेलने लगे। केलि भी अपने बच्चों की उस अजीब चीज के साथ फोटो लेने लगीं।
केलि को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि जिसके साथ वो अपने बच्चों को खेलने दे रही है, जिसे बच्चे हाथ से पकड़ कर एन्जॉय कर रहे थे, उसकी वजह से उनकी मौत भी हो सकती थी। केलि तो अपने परिवार के साथ वापस आ गईं, लेकिन इस अजीब सी चीज की खौफनाक सच्चाई उन्हें कुछ दिनों बाद अखबार से पता चली।
इस घटना के कुछ दिनों बाद अखबार में केलि ने पढ़ा कि जिस बीच पर वो घूमने गई थीं, वहां से सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान यूज होने वाला समुद्री बम मिला है। पहले तो उन्हें लगा कि ये बम उनके आने के बाद मिला होगा। लेकिन तसल्ली के लिए केलि ने अपने बच्चों की फोटोज दुबारा देखी। इसके बाद तो डर के मारे उनका बुरा हाल हो गया। दरअसल, उसके बच्चे जिसे गेंद समझ खेल रहे थे, वो वही बम था। सिर्फ उसके ऊपर जमा सीप की वजह से वो उसकी असलियत नहीं समझ पाए थे।
सेकंड वर्ल्ड वॉर में ऐसे कई बमों का इस्तेमाल हुआ था। ये बम पानी में भी धमाका कर सकते हैं। लेकिन गिराए गए कई बम फूट नहीं पाए और वो वहीं दफन हो गए। यूरोपीय समुद्र में ऐसे कई बम आज भी मौजूद हैं और कई बार लहरों के साथ ये किनारे तक आ जाते हैं।
सफर में होती है उल्टी तो आजमायें ये नुस्खे.
घूमने का शौक किसे नहीं होता, पर सफ़र का मज़ा तब ही आता है जब आपको किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े. अधिकतर लोगों की सफ़र के दौरान तबियत ख़राब होने लगती है. सबसे ज़्यादा शिकायत लोगों को उल्टी की होती है. कुछ लोगों को तो कार, ट्रेन या बस में लम्बा सफ़र करने पर उल्टी आने लगती है. वैसे तो वे ठीक रहते हैं पर सफ़र के दौरान परेशान रहते हैं. उल्टी की समस्या कई लोगों को पहाड़ी एरिया में सफ़र के दौरान भी होती है और कुछ को तो ऊँचाई से भी. इस वजह से उनका सफ़र शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाता है और वो सफ़र का आनंद भी नहीं ले पाते. तो आईये हम आपको बताते हैं कुछ उपाय जिसे आप अपने सफ़र के दौरान आज़मा सकते हैं.
प्याज़ का रस
सफ़र पे निकलने से आधे घंटे पहले अगर आप 1 चमच्च प्याज़ के रस में 1 चमच्च अदरक के रस को मिलाकर पियेंगे तो आपको उल्टियों से राहत मिलेगी. पर अगर आपका सफ़र ज़्यादा लम्बा है तो इस मिश्रण को आप अपने साथ बनाकर भी रख सकते हैं.
लौंग करे जादू
सफ़र करते वक़्त आपको जैसे ही उल्टी जैसा लगने लगे आप लौंग को मुंह में रखकर चूसे. ऐसा करने से जी मचलना और उलटी जैसा लगना बंद हो जाएगा.
अदरक है लाभदायक
अदरक में एंटीमैटिक गुण होते हैं. एंटीमैटिक गुण वाले पदार्थ उल्टी और चक्कर आने पर फायेदेमंद साबित होते हैं. सफ़र करते वक़्त उल्टी जैसा महसूस हो तो अदरक की चाय पियें या अदरक की गोलियों को अपने साथ रखें और थोडा थोडा कर के चबाएं. इससे आपका जी नहीं मचलेगा और उल्टी नहीं होगी.
पुदीना दे साथ
पुदीना आपकी पेट की मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है, जिससे यात्रा के दौरांन तबियत ख़राब और चक्कर आने की स्थिति समाप्त हो जाती है. पुदीना का तेल भी उल्टी होने से रोकता है. पुदीने के तेल की कुछ बूँदें अपने रुमाल पर छिड़क कर रखें और उल्टी जैसा महसूस होने पर इसे सूंघे. इसके अलावा सूखे पुदीने के पत्तों को गर्म पानी में उबालकर चाय बनाएं और इसमें एक चमच्च शहद मिलाएं. निकलने से पहले इसका सेवन करें. आपको आराम मिलेगा.
नींबू करे कमाल
नींबू में भरपूर मात्रा में सिट्रिक एसिड होता है. एक छोटे कप में गर्म पानी लें और उसमे 1 चमच्च नींबू का रस और चुटकी भर नमक मिलाएं. इसे अच्छे से मिलाकर पी लें. यह एक असरदार औषधि है और सफ़र के दौरान होने वाली परेशानियों को आपसे दूर रखता है
सभी बैंक खातों को आधार से जोड़ना जरूरी !
आरबीआई ने यूटर्न लिया, कहा - सभी बैंक खातों को आधार से जोड़ना जरूरी
इससे पहले एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने कहा था कि उसने बैंकों को लोगों के खाते बायोमीट्रिक पहचान संख्या ‘आधार’ से जोड़ने का कोई निर्देश नहीं दिया है
सूचना का अधिकार कानून के तहत हासिल जवाब पर भारतीय रिजर्व बैंक ने अब ‘यूटर्न’ ले लिया है. आरबीआई ने शनिवार को अपने आधिकारिक बयान में साफ किया है कि एक जून, 2017 से सभी बैंक खातों को बायोमीट्रिक पहचान संख्या - आधार से जोड़ना जरूरी है. इससे पहले मीडिया में चल रही तमाम रिपोर्टों में बताया गया था कि आरबीआई ने लोगों के बैंक खातों को उनकी आधार संख्या से अनिवार्य तौर पर जोड़ने का कोई आदेश नहीं दिया है.
आरबीआई ने अपने बयान में कहा है, ‘एक जून 2017 को आधिकारिक गजट में प्रकाशित मनीलॉन्डरिंग रोकथाम (अभिलेखों का रक्षण) के दूसरे संशोधित विनियम के तहत बैंक खातों को आधार से जोड़ना जरूरी है.’ उसने यह भी कहा कि ये नियम कानूनी हैं, लिहाजा बैंकों को बिना किसी दूसरे निर्देश की प्रतीक्षा किए इस आदेश पर अमल करना है.
डिजिटल इंडिया के लिए मोदी सरकार
डिजिटल इंडिया के लिए मोदी सरकार अगले 15 महीनों में 7.5 लाख वाई-फाई हॉटस्पॉट बनाएगी
केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय के अनुसार ये हॉटस्पॉट देश के अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में विकसित किए जाएंगे
इंटरनेट तक सबकी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने अगले 15 महीनों में 7.50 लाख सार्वजनिक इंटरनेट (वाई-फाई) हॉटस्पॉट विकसित करने का फैसला लिया है. सरकार के अनुसार अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में हाईस्पीड और सस्ते इंटरनेट की सुविधा देने के लिए ये इंटरनेट हॉटस्पॉटलगाए जाएंगे. दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने शनिवार को बताया कि इस काम को बीएसएनएल, निजी दूरसंचार कंपनियों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के जरिए पूरा किया जाएगा.
दूरसंचार सचिव के अनुसार केंद्र सरकार ऐसा करके डिजिटल इंडिया की ई-गवर्नेंस और डिजिटल विकास मुहिम को आगे बढ़ाना चाहती है. उन्होंने बताया कि सरकार की योजना हर पंचायत में तीन हॉटस्पॉट विकसित करने की है. आंकड़ोंं के अनुसार इंटरनेट हॉटस्पॉट के मामले में भारत अभी विकसित देशों से काफी पीछे है. पिछले साल तक हमारे देश में केवल 31 हजार वाई-फाई हॉटस्पॉट थे, जबकि अमेरिका और फ्रांस में इनकी संख्या करीब एक करोड़ है.
अरुणा सुंदरराजन ने यह भी बताया कि देश की सभी पंचायतों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा देने के लिए ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (ओएफएन) तेजी से बिछाया जा रहा है. उनके अनुसार इस साल के अंत तक देश की एक लाख पंचायतों तक आॅप्टिकल फाइबर लाइन बिछा दी जाएगी. अभी तक 75 हजार पंचायतों तक यह सुविधा पहुंचायी जा चुकी है.
Source: सत्याग्रह ब्यूरो
22 सालों में पहली बार ऐसा क्या हुआ है कि गुजरात में भाजपा की नींद उड़ी हुई है?
सुनी-सुनाई है कि पिछली बार के विधानसभा चुनाव तक गुजरात में जो कांग्रेस के साथ होता था वही अब भाजपा के साथ हो रहा है प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की कड़ी परीक्षा अपने ही राज्य गुजरात में हो रही है. भाजपा ने सोचा था उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतने के बाद गुजरात का चुनाव जीतना बेहद आसान होगा. लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है भाजपाई खेमे में बेचैनी महसूस की जा रही है. 22 साल तक गुजरात पर राज करने के बाद भाजपा एक ऐसा चुनाव लड़ने जा रही है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति का इन्तेहान इस बार उनके अपने प्रदेश में ही होना है.गुजरात के एक वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि प्रधानमंत्री की गुजरात में हुई रैली में भीड़ तो बहुत आई लेकिन ज्यादा फायदा नहीं हुआ. भाजपा नेताओं ने सोचा था कि इस रैली से गुजरात चुनाव का प्रचार लॉन्च हो जाएगा. लेकिन असर उतना जोरदार नहीं हुआ. सुनी-सुनाई से कुछ ज्यादा है कि देश के सभी मीडिया चैनल्स और अखबारों से नरेंद्र मोदी के भाषण को प्रमुखता से दिखाने और छापने की गुजारिश की गई थी. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जब मंच पर भाषण देने आए ऐन उसी वक्त राजेश और नूपुर तलवार जेल से रिहा हो गये. न्यूज़ चैनल्स ने मोदी के बजाय आरुषि तलवार के माता-पिता की रिहाई को प्रमुखता दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर तगड़ा हमला बोला, कांग्रेस को ज़मानती पार्टी कहा, लेकिन इसका असर वैसा नहीं हुआ जैसा भाजपा ने सोचा था. उल्टा भाजपा को इस बार गुजरात में एक अलग तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है. पत्रकारों से बातचीत में भाजपा के नेता बताते हैं कि इस बार चुनाव में मुश्किल दो वजहों से है. पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस अचानक ज़िंदा हो गई है. पहले कांग्रेस के नेता आपस में ही लड़ा करते थे और कुछ तो ऐसे थे जो भाजपा के लिए ही काम करते थे. लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं. कांग्रेस इस बार सच में चुनाव लड़ रही है और भाजपा के कार्यकर्ता और नेता आपस में लड़ रहे हैं. कुछ भाजपा विधायकों को लगता है कि उनका टिकट कटने वाला है तो उन्होंने पहले ही कांग्रेस से बातचीत शुरू कर दी है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं को भी टिकट का भरोसा मिला है, इसलिए उनके इलाकों के भाजपा नेता भी कांग्रेस के संपर्क में हैं. ऊपर से राज्यसभा में अहमद पटेल को चुनाव जिताने के बाद कांग्रेस के छोटे और बड़े नेताओं में इस बार काफी आत्मविश्वास भी झलक रहा है. भाजपा को इस तरह की कांग्रेस की आदत नहीं थी. 22 सालों से कांग्रेस यह मानकर चुनाव लड़ती थी कि वह मोदी को हरा नहीं सकती. इस बार वह यह सोचकर लड़ रही है कि अगर मिलकर चुनाव लड़ेगी तो भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है.भाजपा को दिक्कत सिर्फ कांग्रेस से ही नहीं हो रही है. गुजरात के तीन नेताओं ने भी उसकी नींद खराब कर रखी है. ये तीन नेता हैं पटेल समुदाय के हार्दिक पटेल, दलित समुदाय के जिग्नेश मेवानी और पिछड़ी जाति के अल्पेश ठाकोर. भाजपा ने इन्हें अपने साथ लेने की पूरी कोशिश की लेकिन इन्होंने उससे हाथ मिलाने से इंकार कर दिया. सुनी-सुनाई है कि कांग्रेस और हार्दिक पटेल के बीच समझौता होना करीब-करीब तय है. हार्दिक अभी 24 साल के हैं इसलिए खुद चुनाव नहीं लड़ सकते. जब राहुल गांधी गुजरात आए तो हार्दिक ने उनका स्वागत किया. अब खबर है कि राहुल और हार्दिक के बीच दो बार बैक चैनल बातचीत हो चुकी है. कांग्रेस हार्दिक पटेल की सभी शर्तें मानने के लिए तैयार है और हार्दिक किसी भी कीमत पर भाजपा को हराना चाहते हैं.इसी तरह दलित समाज में उपजे असंतोष को जिग्नेश मेवानी आवाज़ दे रहे हैं. उनका रुख भी एकदम साफ है कि वे भाजपा के साथ नहीं जाएंगे. ठाकोर समुदाय के अल्पेश इस बार चुनाव लड़ने वाले हैं और अपनी अलग पार्टी भी बनाएंगे. लेकिन इस बात की काफी संभावना है कि उनका समर्थन भी कांग्रेस को ही मिलेगा. अहमदाबाद के एक पत्रकार की बात नोट करने वाली है - 22 साल में भाजपा ने सिर्फ दो नेताओं को ही आगे बढ़ाया, बाकी जो आगे निकलना चाहते थे उन्हें पीछे धकेल दिया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि भाजपा के पास आज की तारीख में हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश को टक्कर देने वाला कोई पटेल, दलित या पिछड़ा नेता नहीं है. अगर इन नौजवान नेताओं ने राहुल गांधी से हाथ मिला लिया तो मोदी-शाह की जोड़ी को अपने ही घर में दूसरा झटका मिल सकता है. फर्क बस इतना है कि पिछली बार राज्यसभा की एक सीट गई थी, इस बार पूरे राज्य के चले जाने का खतरा है.Source: सत्याग्रह
बिना शादी 'सियासत' के शिखर तक पहुंचे ये नेता...जानिए
देश की राजनीति में कई ऐसे कुंवारे नेता हैं, जिन्होंने राजनीति को बदल डाला है। इस श्रेणी में अब देश सबसे बड़े राज्य के युवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम भी जुड़ चुका है। थोड़े दिन पहले ही असम के भावी सीएम सर्वानंद सोनोवाल भी सूची में शामिल हो गए थे। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बेनर्जी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर,ओड़िसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता तो पहले से ही लिस्ट शामिल हो चुकी थी हालाकिं करीब ढाई महीने अस्पताल में भर्ती रहने के बाद मुख्यमंत्री जे.जयललिता का निधन 5 दिसंबर 2017 को हो गया।
आदित्यनाथ योगी
उत्तर प्रदेश में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है।साथ ही उन्होंने कार्यभार भी संभाल लिया है।योगी आदित्यनाथ को घर में अजय सिंह बिष्ट के नाम से जानते है और उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूड़ गांव के गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ।उसके बाद गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त और फिर राजनेता और उसके बाद देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री बने।योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे। सबसे पहले 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। वे बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे।2009 में ये 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2014 में पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया।योगी हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं।और इनकी छवि कथित तौर पर एक कट्टर हिन्दू नेता की रही है।फिलहाल योगी के कामों की तारीफ जा रही है और वे महज 8 दिन में 80 से ज्यादा कठोर फैसले ले चुके है।
सर्वानंद सोनोवाल
31 अक्टूबर, 1962 को डिब्रूगढ़ जिले के दिंजन में पैदा हुए सर्वानंद सोनोवाल ने गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1992 में की थी। केंद्र सरकार में खेल मंत्रालय संभाल रहे सोनोवाल निजी तौर पर फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी भी रहे हैं।साल 1992 से राजनीति में सक्रिय सोनोवाल ने हमेशा राज्य में ही रहकर आंतरिक राजनीति की। 1992 से 1999 तक वह ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद सोनोवाल ने असम गण परिषद् ज्वाइन की और 2001 में विधायक चुने गये। 2004 में पहली बार पूर्व केंद्रीय मंत्री पबन सिंह घाटोवर को हराकर वो लोकसभा में पहुंचे थे।
बेदाग छवि
सर्बानंद सोनोवाल कछारी समुदाय (अनुसूचित जनजाति) से आते हैं। वह बेदाग छवि के नेता हैं। असम में उनकी लोकप्रियता भी खूब है। पहले वह असम गण परिषद (एजीपी) में हुआ करते थे। वह 52 साल के हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक शादी नहीं की है।
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
अब्दुल कलाम भारत के ग्यारवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति
चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। यह शाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ़ फायर भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखी है। इनकी दूसरी पुस्तक 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ' आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने तमिल भाषा में कविताऐं भी लिखी हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद किया जाता है।27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार दिला का दौरा हुआ और ये बेहोश हो कर गिर पड़े।लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।
अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी भारत के काफी प्रभावशाली नेता रहे हैं। उन्होंने शादी नहीं की। वह संसद के लिए नौ बार चुने गए और पहले ऐसे गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। वह 1996 में पहली बार पीएम बने लेकिन सरकार सिर्फ 13 दिन चली।इसके बाद वह 1998 में पीएम बने तो उनकी सरकार 13 महीने चली। वह 1999 में तीसरी बार पीएम बने तो 2004 तक बने रहे।
ममता बनर्जी
अगर किसी महिला ने भारतीय राजनीति में अपनी खास जगह बनाई है तो वो हैं ममता बनर्जी। काफी विरोध झेलने के बाद भी ममता बनर्जी की पार्टी ने पश्चिम बंगाल में सभी पार्टियों को पस्त कर दिया।ममता बनर्जी भी अविवाहित हैं। वह सार्वजनिक मंचों से यह कहती रही हैं उन्होंने अपना जीवन पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए समर्पित किया है और अपने बारे में सोचने का उनके पास समय नहीं है।
जयललिता
अभिनेत्री से नेता बनीं जे जयललिता चार बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी हैं। उन्होंने राजनीति में हमेशा अपने अविवाहित होने को प्रचारित किया और डीएमके के शासन को करुणानिधि के परिवार का शासन बताती रहीं।
जे जयललिता किसी राजनीतिक परिवार में पैदा नहीं हुईं और उन्होंने एआईएडीएमके पार्टी की सेवा करते हुए राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया है। वह कठोर निर्णय लेने के लिए जानी जाती हैं।जयललिता मौके की राजनीति करने के लिए जाती हैं। पार्टी हितों को देखते हुए कभी वो एनडीए का हिस्सा रहीं तो राजनीतिक समीकरण बिगड़ते ही उससे अलग भी हो गईं।हालाकिं करीब ढाई महीने से अस्पताल में भर्ती तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता का निधन 5 दिसंबर 2017 को हो गया
मायावती
भारतीय राजनिति की 'दलित क्वीन' मायावती बहुजन समाज पार्टी की बहुत प्रभावशाली नेता हैं। अपने मेंटर कांशीराम के साथ मिलकर काम करते हुए उन्होंने अपनी रणनीतियों से बीएसपी को यूपी में सत्ता में ला दिया और अभी भी उसे सत्ता में लाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। वह देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की पहली दलित मुख्यमंत्री बनीं और चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने शादी नहीं की।पार्टी कैडर के बीच उन्होंने अपनी खासी पकड़ बनाई है। यहां तक कि दलित नेता होने के बावजूद सवर्णों के बीच पैठ बनाने में भी वो कामयाब रही हैं।
उमा भारती
साध्वी उमा भारती बीजेपी की फायर ब्रांड नेता हैं। अयोध्या राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान वह लाइमलाइट में आईं। उन्होंने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया और वह केंद्र में कैबिनेट मिनिस्टर भी रही हैं।वह भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की आलोचना करने के लिए पार्टी से निकाली गई थीं। इसके बाद वह 2011 में बीजेपी में लौट आईं।फिलहाल उमा भारती भारत की जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री है।
मनोहर लाल खट्टर
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी शादी नहीं की है। साठ वर्षीय खट्टर 35 साल तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता रहे हैं। 1977 में 24 वर्ष की आयु में उन्होंने आरएसएस का झंडा उठा लिया था। खट्टर ने अपना जीवन आरएसएस के माध्यम से देश की सेवा को समर्पित कर दिया।
नवीन पटनायक
नवीन पटनायक बीजू जनता दल के अध्यक्ष हैं और वर्ष 2000 से ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं। वह ओडिशा के दिवंगत प्रसिद्ध नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के बेटे हैं।नवीन सार्वजनिक मंच से खुद को अविवाहित बताते हुए अपने वोटर्स से कहते रहे हैं कि कांग्रेसियों की तरह उनका कोई परिवार नहीं है इसलिए उनकी सत्ता के दौरान किसी परिवारवाद पर आधारित शासन का खतरा नहीं है।
अनिल विज
हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य और खेल मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे अनिल विज काफी लोकप्रिय नेता माने जाते है।विपक्ष से लेकर भ्रष्टाचारी अधिकारी ‘गबर’ के नाम से खौफ खाते है।विज अकेले ऐसे नेता माने जाते है जो खुद की सरकार के खिलाफ बोलने से भी नहीं हिचकते है।अनिल विज ने शादी नहीं की और वे 63 साल के है।
अभिषेक राजा बनाम संजय गुप्ता / दैनिक जागरण (केस नंबर 187/2017) मामले की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अहम फैसला सुनाते हुए देश के सभी राज्यों के श्रम विभाग एवं श्रम अदालतों को निर्देश दिया कि वे अखबार कर्मचारियों के मजीठिया संबंधी बकाये सहित सभी मामलों को छह महीने के अंदर निपटाएं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एवं नवीन सिन्हा की पीठ ने ये निर्देश अभिषेक राजा बनाम संजय गुप्ता / दैनिक जागरण (केस नंबर 187/2017) मामले की सुनवाई करते हुए दिए।
गौरतलब है कि मजीठिया के अवमानना मामले में 19 जून 2017 के फैसले में इस बात का जिक्र नहीं था जिसे लेकर अभिषेक राजा ने सुप्रीम कोर्ट से इस पर स्पष्टीकरण की गुहार लगाई थी। हालांकि स्पष्टीकरण की याचिका जुलाई में ही दायर कर दी गई थी मगर इस पर फैसला आज आया जिससे मीडियाकर्मियों में एक बार फिर खुशी की लहर है।
आप सभी मीडियाकर्मियों से अपील है कि अपना बकाया हासिल करने के लिेए श्रम विभाग में क्लेम जरूर डालें अन्यथा आप इससे वंचित रह सकते हैं। अब अखबार मालिक किसी भी तरह से आनाकानी नहीं कर सकेंगे और मामले को लंबा नहीं खींच सकेंगे। अगर वे ऐसा करते हैं तो इस बार निश्चित रूप से विलफुल डिफेमेशन के दोषी करार दिए जाएंगे।
गलत तरीके से नक्शे पास करने पर अधिकारियों पर गिरेगी गाज!
गलत तरीके से नक्शे पास करने पर संयुक्त आयुक्त समेत 5 अधिकारियों पर गिरेगी गाज
- यमुनानगर में द थापर इंडस्ट्रियल हाउसिंग सोसायटी का मामला
- मुख्यमंत्री ने दिए कड़ी कार्रवाई करने के आदेश
चंडीगढ़। यमुनानगर में द थापर इंडस्ट्रियल वर्कर्स सहकारी आवासीय समिति लिमिटेड में गलत तरीके से नक्शे पास करने में मिलीभगत पाए जाने पर एक एचसीएस अधिकारी समेत पांच पालिका अधिकारियों पर गाज गिरनी तय हो गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा इस संबंध में विभागीय प्रस्ताव पर मंजूरी प्रदान करते हुए आदेश दे दिए हैं।
आज यहां जानकारी देते हुए शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने बताया कि द थापर इंडस्ट्रियल वर्कर्स सहकारी आवासीय समिति लिमिटेड यमुनानगर में गलत तरीके से नक्शे पास करने के मामले की जांच करवाई गई थी। जिसमें अतिरिक्त उपायुक्त यमुनानगर से प्राप्त जांच पर शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार किया गया था। मंत्री कविता जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मामले की गम्भीरता और रिपोर्ट को देखते हुए बिजेंद्र कुमार(एचसीएस) संयुक्त आयुक्त नगर निगम यमुनानगर के खिलाफ मुख्य सचिव को कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं, जबकि तत्कालीन कार्यकारी अभियंता नगर निगम जगाधरी-यमुनानगर रमेश मढ़ाण (वर्तमान अधीक्षक अभियंता नगर निगम अम्बाला), पालिका सचिव राजेन्द्र प्रसाद (वर्तमान पालिका सचिव, खरखौदा), सेवानिवृत निगम अभियंता विनोद गुप्ता, तत्कालीन भवन निरीक्षक सुरेंद्र वर्मा (वर्तमान पालिका अभियंता नगर निगम पंचकूला) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश शहरी स्थानीय निकाय विभाग को दिए हैं।मंत्री कविता जैन ने बताया कि वर्ष 2015 के अंत मे हाउसिंग सोसायटी में गलत नक्शे बनाने का मामला उठा था, जिसके बाद जिला लोक सम्पर्क एवं कष्ट निवारण समिति के अध्यक्ष द्वारा अतिरिक्त उपायुक्त यमुनानगर को थापर ग्राउंड में विवादित भूमि पर नक्शा नम्बर 127/15 से 134/15 तक प्लाटों के नक्शे में हुई गड़बड़ जी जांच के निर्देश दे दिए थे।
उन्होंने कहा कि मामले की छानबीन के बाद अतिरिक्त उपायुक्त यमुनानगर द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट पर विभागीय प्रस्ताव तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार जीरो टॉलरेंस पर आगे बढ़ रही है और गलत करने वाले अधिकारी, कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। (समस्त हरियाणा समाचार)
- यमुनानगर में द थापर इंडस्ट्रियल हाउसिंग सोसायटी का मामला
- मुख्यमंत्री ने दिए कड़ी कार्रवाई करने के आदेश
चंडीगढ़। यमुनानगर में द थापर इंडस्ट्रियल वर्कर्स सहकारी आवासीय समिति लिमिटेड में गलत तरीके से नक्शे पास करने में मिलीभगत पाए जाने पर एक एचसीएस अधिकारी समेत पांच पालिका अधिकारियों पर गाज गिरनी तय हो गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा इस संबंध में विभागीय प्रस्ताव पर मंजूरी प्रदान करते हुए आदेश दे दिए हैं।
आज यहां जानकारी देते हुए शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने बताया कि द थापर इंडस्ट्रियल वर्कर्स सहकारी आवासीय समिति लिमिटेड यमुनानगर में गलत तरीके से नक्शे पास करने के मामले की जांच करवाई गई थी। जिसमें अतिरिक्त उपायुक्त यमुनानगर से प्राप्त जांच पर शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार किया गया था। मंत्री कविता जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मामले की गम्भीरता और रिपोर्ट को देखते हुए बिजेंद्र कुमार(एचसीएस) संयुक्त आयुक्त नगर निगम यमुनानगर के खिलाफ मुख्य सचिव को कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं, जबकि तत्कालीन कार्यकारी अभियंता नगर निगम जगाधरी-यमुनानगर रमेश मढ़ाण (वर्तमान अधीक्षक अभियंता नगर निगम अम्बाला), पालिका सचिव राजेन्द्र प्रसाद (वर्तमान पालिका सचिव, खरखौदा), सेवानिवृत निगम अभियंता विनोद गुप्ता, तत्कालीन भवन निरीक्षक सुरेंद्र वर्मा (वर्तमान पालिका अभियंता नगर निगम पंचकूला) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश शहरी स्थानीय निकाय विभाग को दिए हैं।मंत्री कविता जैन ने बताया कि वर्ष 2015 के अंत मे हाउसिंग सोसायटी में गलत नक्शे बनाने का मामला उठा था, जिसके बाद जिला लोक सम्पर्क एवं कष्ट निवारण समिति के अध्यक्ष द्वारा अतिरिक्त उपायुक्त यमुनानगर को थापर ग्राउंड में विवादित भूमि पर नक्शा नम्बर 127/15 से 134/15 तक प्लाटों के नक्शे में हुई गड़बड़ जी जांच के निर्देश दे दिए थे।
उन्होंने कहा कि मामले की छानबीन के बाद अतिरिक्त उपायुक्त यमुनानगर द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट पर विभागीय प्रस्ताव तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार जीरो टॉलरेंस पर आगे बढ़ रही है और गलत करने वाले अधिकारी, कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। (समस्त हरियाणा समाचार)
नगर निगम कर्मचारी अतिक्रमन को हटाने के लिए पहुचे!
हिसार - नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी राजगुरू मार्किट में अपनी टीम के साथ अतिक्रमन को हटाने के लिए पहुचे। व्यापारियों ने नगर निगम के अधिकारियों की टीम को देख कर व्यापार मंडल के प्रान्तीय अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग को मौके पर बुलाया। बजरंग दास गर्ग ने व्यापारी व अधिकारियों की मींटिग की अध्यक्षता करी। व्यापारियों ने अपनी समस्या दिपावली के त्यौहार पर दुकान के बरामदों में समान लगाने बाबत बजरंग दास गर्ग व नगर निगम के अधिकारियों के समक्ष रखी। व्यापार मंडल के प्रान्तीय अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने नगर निगम कमीश्नर से बातचीत करके दिपावली के त्यौहार पर व्यापारियों को अपना समान बरामदे में लगाने की इजाजत देने के लिए कहा। श्री गर्ग ने कहा की दिपावली देश में सबसे बड़ा त्यौहार होता हैं। इस त्यौहार की हर दुकानदारों को इंतजार होती है कि दिपावली के त्योहार पर सामान की ब्रिकी अच्छी होगी और हर दुकानदार अपने समान का डिसपले बरामदे में करना चाहता हैं। क्योंकि काफी दुकानों के साईज बहुत छोटे होते है और त्योहार के समय उनकी दुकान में समान रखने व डिसपले करने की जगह नहीं होती इस लिए दिपावली जो त्योहार पर दुकानों के बरामदे में समान लगाने की इजाजत सरकार व जिला प्रशासन को देनी चाहिए। ताकि व्यापारी खुलकर व्यापार कर सके व समान खरीदारी करने वालक उपभोगता को भी सामान खरीदारी में किसी प्रकार की दिक्कत ना आए।
निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ संघर्ष समय की मांग
निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ संघर्ष समय की मांग : किरमारा
-आरक्षण का लाभ लेने वाले व मांगने वाले सरकार की मंशा को समझें और स्थाई भर्ती के लिए संघर्ष करें-
हिसार। हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष दलबीर किरमारा ने सरकार की निजीकरण व ठेका प्रथा के खिलाफ हर वर्ग से एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि निजीकरण व ठेका प्रथा जैसी नीति से सरकारी विभागों में स्थाई भर्ती का रास्ता बंद हो गया है वहीं बेरोजगारों का शोषण हो रहा है और भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।
एक बयान में दलबीर किरमारा ने कहा कि आज राजनीतिक दल अपनी रोटियां तो सेंक रहे हैं लेकिन बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव के मसले पर कुछ नहीं बोल रहे हैं क्योंकि इन मूलभूत सुविधाओं के अभाव के लिए समय-समय पर सत्ता में आने वाला हर दल जिम्मेवार है। राजनीतिक दलों ने जनता को बरगलाने का एक तरीका बनाया हुआ है कि सत्ता में रहकर जनविरोधी नीतियां लागू करो और विपक्ष में आ गये तो उसी नीति का विरोध करो। जनता को इन राजनीतिक दलों की यही सच्चाई समझनी होगी और मूलभूत सुविधाओं के अभाव के लिए हर राजनीतिक दल से जवाब मांगना होगा क्योंकि सत्तापक्ष की जितनी जिम्मेवारी है, उतनी जिम्मेवारी विपक्ष की भी है। आरक्षण मसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ हर जरूरतमंद को मिलना चाहिये लेकिन आरक्षण मसले पर जनता आपस में अपना भाईचारा खराब न करें। साथ ही उन्होंने कहा कि आरक्षण से भी ज्यादा जरूरी इस समय सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर स्थाई भर्ती करवाने के लिए संघर्ष करने की जरूरत है क्योंकि जब निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा से ही भर्तियां होने लगेगी तो आरक्षण का औचित्य ही समाप्त हो जाएगा और ठेकेदार अपने हिसाब से भर्तियां करेगा। ऐसे में जो वर्ग आरक्षण का लाभ ले रहे हैं वे भी और जो आरक्षण मांग रहे हैं वे भी आपस में किसी तकरार की बजाय सरकार की मंशा को समझें और कर्मचारी संगठनों के साथ आकर सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर स्थाई भर्तियों के लिए संघर्ष शुरू करें।
दलबीर किरमारा ने कहा कि निजीकरण व ठेका प्रथा के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना समय की मांग है और बेरोजगारों को शोषण से बचाना है तो संघर्ष ही एक विकल्प है। उन्होंने कहा कि निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से जिन युवाओं को भर्ती किया जाता है, वे शोषण का शिकार होते हैं। कहने को तो ठेकेदारी माध्यम से भर्ती होने वालों का वेतन उनके खाते में जा रहा है लेकिन इसमें भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है और परिवहन विभाग इसका उदाहरण है। सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए रोडवेज नेता ने कहा कि सरकार स्थाई भर्ती करने की बजाय ठेकेदारी माध्यम से भर्ती करके बेरोजगारों के सिर पर हर समय नौकरी से हटने की तलवार लटकाये रखना चाहती है, और यही उनके शोषण का सबसे बड़ा माध्यम है। यदि सरकार वास्तव में ही बेरोजगारों को रोजगार देना चाहती है तो हर विभाग में स्थाई भर्ती करें ताकि प्रदेश के लाखों बेरोजगारों को स्थाई रोजगार मिल सके। हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ लगातार रोडवेज सहित हर विभाग में स्थाई भर्ती की मांग करता रहा है लेकिन इस मांग को अनसुना किया जा रहा है, जो सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।
देश के टॉप 25 सांसदों में हरियाणा के तीन, राज्य में टाॅपर हैं - दुष्यंत चौटाला
लोकसभा में कुल 543 सांसदों में हरियाणा के केवल 10 सदस्य हैं। इसके बावजूद हरियाणा के सांसद अपना जलवा दिखे रहे हैं। देश के टॉप 25 सांसदों में तीन हरियाणा के हैं।
हरियाणा के हिसाब से देखें तो इस लिस्ट में पहले नंबर पर इनेलो के सांसद दुष्यंत चौटाला (हिसार), दूसरे नंबर पर कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा (रोहतक) और तीसरे स्थान पर भाजपा के रमेश कौशिक (सोनीपत) हैं। फेम इंडिया मैग्जीन और एशिया पोस्ट ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट हाल ही में प्रकाशित की है।
सर्वे में देश्ा के सर्वश्रेष्ठ 25 सांसदों का चुनाव उनकी लोकसभा में उपस्थिति, कार्यशैली, प्रभाव, पहचान, प्रश्नों की संख्या, प्राइवेट बिल, बहस में भागीदारी, जनता और सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव, सांसद निधि का उपयोग को आदि को आधार बनाते हुए किया गया है।दुष्यंत चौटाला को इस सर्वेक्षण में लोकसभा, जनहित कार्यों की साढ़े तीन वर्ष के प्रदर्शन के आधार पर सर्वाधिक 798 अंक, दीपेंद्र हुड्डा को 700 अंक और रमेश कौशिक को 646 अंक मिले हैं।
इसके अलावा सर्वेक्षण में देश भर से जो 25 सर्वेश्रेष्ठ सांसद चुने गए हैं उनमें गुजरात से किरीट प्रेम, झारखंड से निशिकांत दूबे, दिल्ली से उदित राज, महाराष्ट्र से सुप्रिया सुले, मध्यप्रदेश से रोडमल नागर, राजस्थान से ओम बिडला, हिमाचल से अनुराग ठाकुर, पश्चिम बंगाल से रत्ना डे, महाराष्ट्र से पूनम महाजन व अरविंद सावंत, उत्तर प्रदेश से वीरेंद्र सिंह मस्त, ओडिशा से कृष्णा सिंहदेव, असम से गौरव गोराई, राजस्थान से चंद्रप्रकाश जोशी शामिल हैं।
हकलाने -तुतलाने की समस्या से परेशान है - शंख मुद्रा कर लें !
हकलाने -तुतलाने वाला व्यक्ति यह तो जानता है कि उसे क्या बोलना है, लेकिन वह बोल नहीं पाता और एक ही अक्षर या शब्द बार-बार दोहराता है। यह समस्या बोलने से जुड़ी मांसपेशियों और जीभ पर नियंत्रण न होने से पैदा होती है। अगर आप भी ऐसी ही किसी समस्या से परेशान है तो ये खबर आपके लिए ही है।
शंख मुद्रा करने के लिए सबसे पहले दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर हथेलियां दबाएं। इसके बाद बाएं हाथ के अंगूठे को दोनों हाथ की मुट्ठी बनाकर उसमें बंद कर लें और फिर बाएं हाथ की तर्जनी उंगली को दाएं हाथ के अंगूठे से मिलाएं। इस तरह से शंख मुद्रा बन जाती है। इस मुद्रा में बाएं हाथ की बाकी तीन उंगलियों के पास में सटाकर दाएं हाथ की बंद उंगलियों पर हल्का-सा दबाव दिया जाता है। ठीक इस तरह ही हाथ को बदलकर अर्थात् दाएं हाथ के अंगूठे को बाएं हाथ की मुट्ठी में बंद करके शंख मुद्रा बनाई जाती है।
सावधानियां
जिन लोगों को कफ की समस्या रहती हो उन्हें यह मुद्रा अधिक समय तक नहीं करनी चाहिए। शंख मुद्रा को किसी भी समय किया जा सकता है। प्रतिदिन 15 मिनट दिन में तीन बार 30 से 45 मिनट इसका अभ्यास किया जा सकता है।
मारुति सुजुकी कंपनी में नौकरी का मौका
बेरोजगार युवाओं को मारुति सुजुकी कंपनी में अच्छे वेतन पर नौकरी का मौका मिलने जा रहा है। कंपनी की ओर से लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद चयनित युवाओं को करीब 20854 रुपये वेतन मिलेगा।
कैंपस इंटरव्यू में प्रदेश भर से पात्र छात्र हिस्सा ले सकते हैं। इच्छुक अभ्यर्थी की उम्र 18 से 25 साल रुपये तक होनी चाहिए। कंपनी के प्रतिनिधि 27 मई को हिमालयन आईटीआई लग बलियाणा (परागपुर) में साक्षात्कार लेंगे।
आईटीआई के प्रधानाचार्य संजीव कुमार ने दावा किया कि इस दौरान करीब एक हजार युवाओं को नौकरी मिल सकती है, यदि वे कंपनी की लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में सफल हो जाते हैं।
इस परीक्षा में आईटीआई पास ट्रेड फिटर, मोटर मेकेनिक, टर्नर, बेल्डर, पेंटर, मशीनिस्ट, आटोमोबाइल, ट्रैक्टर मेकेनिक, सीओई एडवांस (हीट इंजन एंड आटोमोबाइल) पास युवाओं को नौकरी प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है।
एक हजार युवाओं को मिलेगी नौकरी!!!ब्यूरो/अमर उजाला, देहरागोपीपुर (कांगड़ा)
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