देश की राजनीति में कई ऐसे कुंवारे नेता हैं, जिन्होंने राजनीति को बदल डाला है। इस श्रेणी में अब देश सबसे बड़े राज्य के युवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम भी जुड़ चुका है। थोड़े दिन पहले ही असम के भावी सीएम सर्वानंद सोनोवाल भी सूची में शामिल हो गए थे। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बेनर्जी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर,ओड़िसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता तो पहले से ही लिस्ट शामिल हो चुकी थी हालाकिं करीब ढाई महीने अस्पताल में भर्ती रहने के बाद मुख्यमंत्री जे.जयललिता का निधन 5 दिसंबर 2017 को हो गया।
आदित्यनाथ योगी
उत्तर प्रदेश में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है।साथ ही उन्होंने कार्यभार भी संभाल लिया है।योगी आदित्यनाथ को घर में अजय सिंह बिष्ट के नाम से जानते है और उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूड़ गांव के गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ।उसके बाद गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त और फिर राजनेता और उसके बाद देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री बने।योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे। सबसे पहले 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। वे बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे।2009 में ये 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2014 में पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया।योगी हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं।और इनकी छवि कथित तौर पर एक कट्टर हिन्दू नेता की रही है।फिलहाल योगी के कामों की तारीफ जा रही है और वे महज 8 दिन में 80 से ज्यादा कठोर फैसले ले चुके है।
सर्वानंद सोनोवाल
31 अक्टूबर, 1962 को डिब्रूगढ़ जिले के दिंजन में पैदा हुए सर्वानंद सोनोवाल ने गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1992 में की थी। केंद्र सरकार में खेल मंत्रालय संभाल रहे सोनोवाल निजी तौर पर फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी भी रहे हैं।साल 1992 से राजनीति में सक्रिय सोनोवाल ने हमेशा राज्य में ही रहकर आंतरिक राजनीति की। 1992 से 1999 तक वह ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद सोनोवाल ने असम गण परिषद् ज्वाइन की और 2001 में विधायक चुने गये। 2004 में पहली बार पूर्व केंद्रीय मंत्री पबन सिंह घाटोवर को हराकर वो लोकसभा में पहुंचे थे।
बेदाग छवि
सर्बानंद सोनोवाल कछारी समुदाय (अनुसूचित जनजाति) से आते हैं। वह बेदाग छवि के नेता हैं। असम में उनकी लोकप्रियता भी खूब है। पहले वह असम गण परिषद (एजीपी) में हुआ करते थे। वह 52 साल के हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक शादी नहीं की है।
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
अब्दुल कलाम भारत के ग्यारवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति
चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। यह शाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ़ फायर भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखी है। इनकी दूसरी पुस्तक 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ' आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने तमिल भाषा में कविताऐं भी लिखी हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद किया जाता है।27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार दिला का दौरा हुआ और ये बेहोश हो कर गिर पड़े।लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।
अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी भारत के काफी प्रभावशाली नेता रहे हैं। उन्होंने शादी नहीं की। वह संसद के लिए नौ बार चुने गए और पहले ऐसे गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। वह 1996 में पहली बार पीएम बने लेकिन सरकार सिर्फ 13 दिन चली।इसके बाद वह 1998 में पीएम बने तो उनकी सरकार 13 महीने चली। वह 1999 में तीसरी बार पीएम बने तो 2004 तक बने रहे।
ममता बनर्जी
अगर किसी महिला ने भारतीय राजनीति में अपनी खास जगह बनाई है तो वो हैं ममता बनर्जी। काफी विरोध झेलने के बाद भी ममता बनर्जी की पार्टी ने पश्चिम बंगाल में सभी पार्टियों को पस्त कर दिया।ममता बनर्जी भी अविवाहित हैं। वह सार्वजनिक मंचों से यह कहती रही हैं उन्होंने अपना जीवन पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए समर्पित किया है और अपने बारे में सोचने का उनके पास समय नहीं है।
जयललिता
अभिनेत्री से नेता बनीं जे जयललिता चार बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी हैं। उन्होंने राजनीति में हमेशा अपने अविवाहित होने को प्रचारित किया और डीएमके के शासन को करुणानिधि के परिवार का शासन बताती रहीं।
जे जयललिता किसी राजनीतिक परिवार में पैदा नहीं हुईं और उन्होंने एआईएडीएमके पार्टी की सेवा करते हुए राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया है। वह कठोर निर्णय लेने के लिए जानी जाती हैं।जयललिता मौके की राजनीति करने के लिए जाती हैं। पार्टी हितों को देखते हुए कभी वो एनडीए का हिस्सा रहीं तो राजनीतिक समीकरण बिगड़ते ही उससे अलग भी हो गईं।हालाकिं करीब ढाई महीने से अस्पताल में भर्ती तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता का निधन 5 दिसंबर 2017 को हो गया
मायावती
भारतीय राजनिति की 'दलित क्वीन' मायावती बहुजन समाज पार्टी की बहुत प्रभावशाली नेता हैं। अपने मेंटर कांशीराम के साथ मिलकर काम करते हुए उन्होंने अपनी रणनीतियों से बीएसपी को यूपी में सत्ता में ला दिया और अभी भी उसे सत्ता में लाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। वह देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की पहली दलित मुख्यमंत्री बनीं और चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने शादी नहीं की।पार्टी कैडर के बीच उन्होंने अपनी खासी पकड़ बनाई है। यहां तक कि दलित नेता होने के बावजूद सवर्णों के बीच पैठ बनाने में भी वो कामयाब रही हैं।
उमा भारती
साध्वी उमा भारती बीजेपी की फायर ब्रांड नेता हैं। अयोध्या राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान वह लाइमलाइट में आईं। उन्होंने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया और वह केंद्र में कैबिनेट मिनिस्टर भी रही हैं।वह भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की आलोचना करने के लिए पार्टी से निकाली गई थीं। इसके बाद वह 2011 में बीजेपी में लौट आईं।फिलहाल उमा भारती भारत की जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री है।
मनोहर लाल खट्टर
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी शादी नहीं की है। साठ वर्षीय खट्टर 35 साल तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता रहे हैं। 1977 में 24 वर्ष की आयु में उन्होंने आरएसएस का झंडा उठा लिया था। खट्टर ने अपना जीवन आरएसएस के माध्यम से देश की सेवा को समर्पित कर दिया।
नवीन पटनायक
नवीन पटनायक बीजू जनता दल के अध्यक्ष हैं और वर्ष 2000 से ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं। वह ओडिशा के दिवंगत प्रसिद्ध नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के बेटे हैं।नवीन सार्वजनिक मंच से खुद को अविवाहित बताते हुए अपने वोटर्स से कहते रहे हैं कि कांग्रेसियों की तरह उनका कोई परिवार नहीं है इसलिए उनकी सत्ता के दौरान किसी परिवारवाद पर आधारित शासन का खतरा नहीं है।
अनिल विज
हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य और खेल मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे अनिल विज काफी लोकप्रिय नेता माने जाते है।विपक्ष से लेकर भ्रष्टाचारी अधिकारी ‘गबर’ के नाम से खौफ खाते है।विज अकेले ऐसे नेता माने जाते है जो खुद की सरकार के खिलाफ बोलने से भी नहीं हिचकते है।अनिल विज ने शादी नहीं की और वे 63 साल के है।
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