इस योजना पर सऊदी अरब की सरकार 500 अरब डॉलर से ज़्यादा की रकम खर्च करने जा रहा है.
क्राउन प्रिंस मोहम्मद अली बिन सलमान ने कहा है कि 26,500 वर्ग किलोमीटर का ये बिज़नेस ज़ोन मुल्क के उत्तर-पश्चिमी इलाके में विकसित किया जाना है.
इसका विस्तार मिस्र और जॉर्डन की सीमा तक होगा. इस बिज़नेस ज़ोन में फ़ूड टेक्नॉलॉजी, ऊर्जा और पानी के क्षेत्र पर ख़ास ध्यान दिया जाएगा.
सऊदी क्राउन प्रिंस इन दिनों तेल से होने वाली आमदनी पर मुल्क की निर्भरता को कम करके कमाई के दूसरे रास्ते खोज रहे हैं.
अगस्त में सऊदी अरब ने लाल सागर के 50 द्वीपों और दूसरी जगहों को टूरिस्ट रिजॉर्ट में बदलने की योजना सामने रखी थी.
बीबीसी के आर्थिक संवाददाता एंड्रूय वॉकर के मुताबिक़ क्राउन प्रिंस मोहम्मद अली बिन सलमान की महत्वाकांक्षाएं हक़ीकत से कितनी क़रीब हैं और कितनी दूर, इन पर सवाल उठना लाज़िम है.
कच्चे तेल की कीमत
सऊदी अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना के लिए आने वाले सालों में सऊदी सरकार पैसा देगी. इसके अलावा स्थानीय और विदेशी निवेशकों से भी पैसा जुटाया जाएगा.
एक सरकारी बयान में कहा गया है, 2030 तक ये परियोजना सऊदी अरब की जीडीपी में 100 अरब डॉलर तक योगदान कर सकती है.
ये घोषणा सऊदी अरब की राजधानी रियाद में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय बिज़नेस कॉन्फ्रेंस में की गई. मिस्र और जॉर्डन ने फिलहाल इस परियोजना पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस विज़न 2030 पर काम कर रहे हैं. इसके तहत वे मुल्क को आधुनिक और विविधतापूर्ण बनाना चाहते हैं. सरकार की कमाई का सबसे बड़ा स्रोत तेल है.
तीन साल पहले कच्चे तेल की कीमत आज गिरकर आधी रह गई है. लंबे समय के लिए भी इस पर जलवायु परिवर्तन का साया मंडराता रहेगा.
इससे निपटने की अंतरराष्ट्रीय कोशिशें जिस तरह से हो रही हैं, उसका मतलब ये है कि तेल उत्पादन करने वाले देशों के लिए बाज़ार सिकुड़ता जाएगा.
Source: बीबीसी हिन्दी
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