एक्सप्लेनर:भारत के उलट इंडोनेशिया में बुजुर्गों को नहीं, बल्कि कामकाजी आबादी को पहले लगेगी वैक्सीन


दुनिया में करीब 16 देशों में कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइन के आधार पर प्रायोरिटी ग्रुप्स तय किए गए हैं। इस पर अमल करते हुए अमेरिका, ब्रिटेन समेत तमाम देशों में हेल्थवर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ बुजुर्गों को सबसे पहले वैक्सीन लगाई जा रही है।

भारत भी इसी अप्रोच से आगे बढ़ रहा है। जनवरी में जब वैक्सीनेशन शुरू होगा तो यहां भी हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और बुजुर्गों को सबसे पहले वैक्सीन लगाई जाएगी। सरकारी योजना के मुताबिक 30 करोड़ लोग इन ग्रुप्स में हैं, जिन्हें सबसे पहले वैक्सीन लगाई जाएगी।

इंडोनेशिया भी उन देशों में शामिल है, जहां इसी महीने वैक्सीनेशन शुरू हो रहा है। पर यहां थोड़ा ट्विस्ट है। उसने बुजुर्गों के बजाय कामकाजी आबादी को प्राथमिकता देने का फैसला किया है। यानी हेल्थकेयर वर्कर्स और सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ कामकाजी आबादी को वैक्सीन लगाई जाएगी। इसका उद्देश्य कोरोनावायरस के खिलाफ तेजी से हर्ड इम्युनिटी तक पहुंचना और इकोनॉमी को पटरी पर लाना है। यह नजरिया बाकी देशों से अलग है, इसलिए पूरी दुनिया की वैक्सीन विशेषज्ञ और अर्थशास्त्रियों की नजर इस पर है। आइए जानते हैं कि इंडोनेशिया ऐसा क्या और क्यों कर रहा है?

1.इसकी मुख्य रूप से दो वजहें हैं। पहला, इंडोनेशिया में चीन की कंपनी सिनोवेक बायोटेक की वैक्सीन का इस्तेमाल होने वाला है। इंडोनेशिया का कहना है कि यह वैक्सीन बुजुर्गों पर कितनी असरदार है, इसका कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। ट्रायल्स 18-59 वर्ष के लोगों पर हुए हैं, इस वजह से उन्हें भी प्रायोरिटी ग्रुप्स में रखा गया है।

2.दूसरा पहलू यह भी है कि इंडोनेशिया के ड्रग रेगुलेटर ने बुजुर्गों के वैक्सीनेशन प्लान को लेकर कोई सिफारिश नहीं की है। स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी सिती नादिया तारमिजी ने कहा- 'हम ट्रेंड के विपरीत नहीं जा रहे। हम रेगुलेटर की सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं।'

3.इसे इस तरह समझ सकते हैं कि ब्रिटेन और अमेरिका ने फाइजर की वैक्सीन के साथ टीकाकरण शुरू किया है। इसके बाद ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड और अमेरिका में मॉडर्ना की वैक्सीन को वैक्सीनेशन में शामिल किया है। यह तीनों ही वैक्सीन सभी आयु वर्गों पर असरदार साबित हुई है। इसके मुकाबले सिनोवेक बायोटेक की कोरोनावैक पर ट्रायल्स सीमित आयु वर्गों पर हुए हैं।

4.दरअसल, इस दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश ने सिनोवेक के कोरोनावैक शॉट के 12.55 करोड़ डोज की डील की है। तीस लाख डोज का पहला बैच इंडोनेशिया पहुंच गया है। यानी वैक्सीनेशन इसी से शुरू होगा। एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन दूसरी तिमाही में और फाइजर की वैक्सीन तीसरी तिमाही में यहां पहुंचेगी।


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