जिले के सरकारी स्कूलों में हर साल ही आंकड़े बढ़ते हैं, लेकिन इस साल कोरोना के चलते जिले के राजकीय स्कूलों में आंकड़े और भी बढ़ गए। प्रदेशभर में सबसे अधिक निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में दाखिले हिसार में हुआ। हिसार के सरकारी स्कूलों में 13281 बच्चे निजी स्कूलों से शिफ्ट हुए। फरीदाबाद दूसरे व भिवानी तीसरे स्थान पर है। इस साल प्रदेशभर में कुल डेढ़ लाख बच्चों ने विभिन्न कक्षाओं में निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया। शिक्षा विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार अब तक 1,46,060 बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया।
इस साल प्रदेश में सबसे अधिक हिसार के विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल को पसंद किया है। यह विभाग व शिक्षकों के लिए अच्छा संदेश है। यह बोर्ड में निजी स्कूलों के समान राजकीय स्कूलों के परीक्षा परिणाम व बच्चों तथा शिक्षकों की मेहनत के कारण ही संभव हो पाया है कि अभिभावक सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को भेज रहे हैं। आगे भी अभिभावकों को प्रेरित किया जाएगा।''
-कुलदीप सिहाग, डीईओ, हिसार।
जानिए ब्लॉक वाइज कितने हुए नए एडमिशन
ब्लॉक कुल विद्यार्थी नए विद्यार्थी
जानिए ब्लॉक वाइज कितने हुए नए एडमिशन
ब्लॉक कुल विद्यार्थी नए विद्यार्थी
- आदमपुर 11959 1081
- अग्रोहा 10912 1013
- बरवाला 21061 2058
- हांसी 20486 1503
- बास 7525 603
- हिसार-1 25877 2497
- हिसार-2 17030 2371
- नारनौंद 11007 1171
- उकलाना 11096 984
रिजल्ट, सुविधा और ट्रेंड टीचर्स देख बदला रुख
लॉकडाउन के कारण बंद हुए स्कूलों के खुलने का कोई अनुमान न होने के कारण अभिभावकों ने निजी स्कूलों की अधिक फीस भरने के स्थान पर राजकीय स्कूलों की कम फीस को चुना।
सरकारी स्कूल में एडमिशन के लिए तुरंत एसएलसी आवश्यक न होने का एक नियम भी निजी स्कूलों से ड्रॉप होने का कारण रहा।
इस साल सरकारी स्कूलों का बोर्ड रिजल्ट निजी स्कूलों के बराबर रहा।
प्राइवेट स्कूल में कक्षा 9 से 12 तक के लिए अधिक ट्रेंड व एक्सपीरियंस टीचर्स काफी कम होते हैं जबकि राजकीय स्कूलों में एक निश्चित शर्त पर ही शिक्षक लग सकते हैं।
जिले में राजकीय संस्कृति मॉडल स्कूल खुले, जिनकी तरफ भी पेरेंट्स का रूझान हुआ।
लॉकडाउन के कारण बंद हुए स्कूलों के खुलने का कोई अनुमान न होने के कारण अभिभावकों ने निजी स्कूलों की अधिक फीस भरने के स्थान पर राजकीय स्कूलों की कम फीस को चुना।
सरकारी स्कूल में एडमिशन के लिए तुरंत एसएलसी आवश्यक न होने का एक नियम भी निजी स्कूलों से ड्रॉप होने का कारण रहा।
इस साल सरकारी स्कूलों का बोर्ड रिजल्ट निजी स्कूलों के बराबर रहा।
प्राइवेट स्कूल में कक्षा 9 से 12 तक के लिए अधिक ट्रेंड व एक्सपीरियंस टीचर्स काफी कम होते हैं जबकि राजकीय स्कूलों में एक निश्चित शर्त पर ही शिक्षक लग सकते हैं।
जिले में राजकीय संस्कृति मॉडल स्कूल खुले, जिनकी तरफ भी पेरेंट्स का रूझान हुआ।
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