जानें लीना खान के बारें में (Know more About Leena Khan), Meta (पहले Facebook) को Instagram और WhatsApp ऐप्स को बेचना पड़ सकता है.


कौन है लीना खान? 

लीना खान का जन्म 3 मार्च 1989 को लंदन, यूनाइटेड किंगडम में पाकिस्तानी माता-पिता के यहाँ हुआ था। लीना खान 11 साल की उम्र में संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं। 2010 में, उन्होंने विलियम्स कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की , जहाँ उन्होंने हन्ना अरेंड्ट पर अपनी थीसिस लिखी । विलियम्स कॉलेज में अपने समय के दौरान, खान ने छात्र समाचार पत्र के संपादक के रूप में कार्य किया।

33 साल की लीना खान (Lina Khan) का नाम एंटीट्रस्ट इशू के साथ पुराने वक्त से जुड़ा हुआ है. जब वह Yale Law School में थी तब से वह अमेरिका में एंटीट्रस्ट और कंपटीशन लॉ काम के लिए जानी जाती हैं. मार्च 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उन्हें कमीशन में अपॉइंट किया और वह जून 2021 से काम कर रही हैं. इसके साथ ही वह Columbia Law School में एसोसिएट प्रोफेसर भी हैं. 

बिक जाएंगे Insta और WhatsApp

Instagram और WhatsApp दोनों ही ऐप्स Meta (Facebook) के रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा हैं, लेकिन कंपनी ऐसा क्यों करेगी? इसका कारण फेडरल ट्रेड कमीशन है, जिसका नेतृत्व Lina Khan (लीना खान) कर रही हैं. लीना खान (Lina Khan) को पिछले साल मार्च में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कमीशन में अपॉइंट किया. फेडरल ट्रेड कमीशन को फेडरल जज से हरी झंडी मिल गई है, जिसके बाद वह एंट्री ट्रस्ट मामले में दिग्गज टेक कंपनी Meta को कोर्ट में घसीट सकता है.

हालांकि, इससे पहले पिछले साल भी एजेंसी मेटा (तब फेसबुक) के खिलाफ कोर्ट जा चुकी है. उस वक्त कोर्ट ने कम जानकारी के कारण इस मामले की सुनवाई नहीं की. इस बार FTC अपनी शिकायत में बदलाव के साथ कोर्ट पहुंचा है. FTC का आरोप है कि सोशल नेटवर्क क्षेत्र में Meta की मोनोपोली है. हालांकि, FTC की नजर सिर्फ सोशल मीडिया कंपनी Meta पर ही नहीं, बल्कि Amazon और गूगल पर भी है. 


FTC ने पहले दी थी मंजूरी

ध्यान दें कि साल 2012 में FTC ने ही फेसबुक की 1 अरब डॉलर में इंस्टाग्राम के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी. उस वक्त कंपनी में 13 कर्मचारी थे. इसके दो साल बाद यानी साल 2014 में फेसबुक ने इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp को 19 अरब डॉलर में खरीदा. अब FTC दलील दे रहा है कि फेसबुक ने क्रम से अपने कंपटीटर्स को खरीदा है और मोनोपोली बनाई है. कमीशन का आरोप है कि कंपनी के प्रभाव के कारण कंज्यूमर्स को कम विकल्प मिल रहे हैं. साथ ही इस बाजार में नए टेक और बिजनेस इनोवेशन भी नहीं आ रहे. इससे प्राइवेसी प्रोटेक्शन में भी कमी आई है. 

अमेरिका में एंट्रीटस्ट्र मोनोपोली लॉ की पैरवी करते हुए लीना खान में अपने करियर में बड़ी टेक कंपनियों को चुनौती दी है. हालांकि, मेटा ने अपने बचाव में लीना की इसी इमेज का इस्तेमाल किया है. कंपनी का दावा है कि लीना कंपनियों को लेकर पक्षपात करती है. वहीं मामले की सुनवाई कर रहे फेडरल जज James E. Boasberg ने मेटा के इस दावे को खारिज कर दिया.

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