प्रदेश में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। पानीपत में एक्यूआई 350 तो फरीदाबाद में 302 तक जा चुका है। 13 जिलों में यह 200 के पार हो गया है। यानी पूअर स्टेज पर पहुंच गया है। यही हाल रहा तो अस्थमा के रोगियों को दिक्कत हो सकती है, जबकि इससे कोरोना का खतरा भी बढ़ सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि फसल अवशेष भी खूब जल रहे हैं।
21 अक्टूबर को प्रदेश में 84 जगह फसल अवशेष जले हैं, इनमें धान का कटोरा कहे जाने वाले करनाल, कैथल और कुरुक्षेत्र में 54 जगह फसल अवशेष जले हैं। दूसरी ओर वाहनों के अधिक संख्या में चलने और औद्योगिक गतिविधियां भी तेजी से चलने के कारण के प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।
अक्टूबर खत्म होते-होते ठंड बढ़ने लगी है और अंधेरा होते ही आसमान में स्मॉग छा जाती है। ठंड बढ़ने के साथ ही हवा में प्रदूषण की मात्रा अचानक बढ़ने लगी है। धान का कटोरा कहे जाने वाले अम्बाला, कुरुक्षेत्र, करनाल और कैथल में से सबसे जहरीली कुरुक्षेत्र की हवा हो गई। कुरुक्षेत्र की हवा में प्रदूषण का स्तर 289 तक पहुंच गया है, जो गंभीर है। 277 के साथ करनाल दूसरे, 248 के साथ अम्बाला तीसरे और 248 के साथ कैथल चौथे स्थान पर है। वहीं, अब तक पराली जलाने की 630 घटनाओं के साथ करनाल पहले नंबर पर है। 572 घटनाओं के साथ कुरुक्षेत्र दूसरे और कैथल तीसरे नंबर पर है। अम्बाला में सबसे कम आगजनी की 364 घटनाएं सामने आई हैं।
कहां कितना रहा एक्यूआई
- अम्बाला-248
- भिवानी-216
- चरखी दादरी-290
- फरीदाबाद-302
- फतेहाबाद-267
- गुड़गांव-263
- हिसार-291
- जींद-253
- कैथल-243
- करनाल-278
- कुरुक्षेत्र-289
- मेवात-271
- नारनौल-176
- पंचकूला-92
- रोहतक-172
- सिरसा-157
- सोनीपत-216
- यमुनानगर-209
प्रदेश में अबकी बार 8.58 लाख टन पराली की होगी खरीद, किसान को प्रति एकड़ 1000 रुपए मिलेंगे
प्रदेश सरकार पराली न जलाने के लिए किसानों का सहयोग करने को तैयार है। ऐसे में किसानों को भी आगे आना होगा। इस बार 8.58 लाख टन पराली खरीदी जाएगी। पराली प्रबंधन के लिए कस्टम हाईरिंग सेंटर के माध्यम से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दर पर मशीनरी उपलब्ध करवाने के लिए 152 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान है। विभाग द्वारा पोर्टल खोला है, जिस पर पराली खरीदने वाले ठेकेदारों व उद्योगों की जानकारी उपलब्ध होगी, जो किसान पराली बेचना चाहता है तो वह पोर्टल से संपर्क कर सकता है। पराली प्रबंधन के लिए किसानों को एक हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से राशि दी जा रही है।
प्रदेश के 13 जिलों में प्रदूषण का स्तर पूअर स्टेज पर पहुंच गया है, जबकि पानीपत और फरीदाबाद में यह वेरी पूअर हो गया है। यदि यह और बढ़ा तो सांस के रोगियों को ज्यादा दिक्कत हो सकती है। -डॉ. राजेश गढिया, वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हरियाणा।
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