फरीदाबाद कोर्ट ने अनिल जिंदल को इस शर्त पर जमानत दी थी कि उसे व्यक्तिगत बांड के बदले 100 करोड़ रुपये की किसी भी संपत्ति के विवरण और दस्तावेजों प्रस्तुत करने होंगे।
चंडीगढ़ में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने फरीदाबाद कोर्ट द्वारा जमानत देने केे बारे में रखी एक शर्त को रद करते हुए सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि जमानत देने के लिए ऐसी शर्त नहीं रखनी चाहिए जो संभव न हो सके और जमानत केवल कल्पना बनकर रह जाए। जज को जमानत देेते समय न्यायिक शक्ति का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए।
हाई कोर्ट के जस्टिस अरूण मोगा ने यह टिप्पणी फरीदाबाद के एक नामी बिल्डर अनिल जिंदल की जिला अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। फरीदाबाद कोर्ट ने जिंदल को इस शर्त पर जमानत दी थी कि उसे व्यक्तिगत बांड के बदले 100 करोड़ रुपये की किसी भी संपत्ति के विवरण और दस्तावेजों प्रस्तुत करने होंगे।
क्या है मामला
अनिल जिंदल के खिलाफ जालसाली, धोखाधड़ी आदि धाराओं के मामला के तहत दर्ज की गई थी। उसने केवल एक प्राथमिकी के संबंध में जमानत याचिका दायर की थी। जमानत देते समय, अदालत ने प्रत्येक प्राथमिकी पर विचार किया और पाया कि लगभग 300 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला बनता है। उसी के अनुसार अदालत ने जमानत के लिए उक्त शर्त लगा दी।
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