म्यांमार की मिलिट्री ने रविवार देर रात 2 बजे तख्तापलट कर दिया। देश में पिछले 10 साल से लोकतांत्रिक सरकार थी, जबकि इससे पहले 2011 तक यहां सैन्य शासन ही था।
मिलिट्री के तख्तापलट के दौरान किसी मौत की खबर तो नहीं आई, लेकिन देश में 48 साल तक सैन्य शासन झेल चुकी म्यांमार की जनता इससे दुखी है। लोकप्रिय नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और प्रेसिडेंट विन मिंट समेत कई नेताओं को मिलिट्री ने अरेस्ट कर लिया है। म्यांमार में पिछले तीन दिन से सेना का बहुत बड़ा मूवमेंट चल रहा था। इसको लेकर अंदेशा भी था कि मिलिट्री कोई बड़ा कदम उठा सकती है।
तख्तापलट के बाद सेना ने म्यांमार में 1 साल के लिए इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है। अब सत्ता पूरी तरह सेना के हाथ में आ गई है। दुनिया के कई देशों ने इसकी निंदा की है। भारत ने भी हालात पर चिंता जताई है। सुबह लोगों को जब आधी रात को हो चुके सत्ता परिवर्तन के बारे में पता लगा, तो लोगों ने बाजारों में जाकर जमकर खरीदारी शुरू कर दी।
यह रिपोर्ट लिखे जाने तक आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की ओर से कोई अधिकृत बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, पीपुल्स पार्टी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में सत्ता परिवर्तन का विरोध किया है।
आम जनता के पास अब तक जरूरी इन्फॉर्मेशन नहीं है। कोरोना महामारी के कारण देश में नौकरी और कारोबार पर काफी असर हुआ था। आर्थिक रूप से परेशान लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच म्यांमार में मिलिट्री शासन लगा दिया गया है। लोग व्यथित और गुस्से में हैं। म्यांमार की जनता चाहती है कि पॉलिटिकल चैनल से बातचीत शुरू की जाए।
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