पोर्टल पर ब्योरा दर्ज होने से दलालों की बोगस खरीद रुकी, दूसरे राज्यों से भी कम आया धान

सरकार द्वारा मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकृत फसल खरीदने तथा जिले के किसानों द्वारा बाहरी राज्यों से लाए जा रहे धान के ट्रकों को रोकने का परिणाम यह हुआ कि इस बार जिले भर की मंडियों में परमल धान की 27.74 फीसदी कम खरीद हुई है। पोर्टल व गेट पास के चलते जहां दलाल बोगस खरीद नहीं कर सके वहीं किसानों के विरोध के चलते दूसरे राज्यों से भी धान कम आया है।

इसके अलावा 1121, मुच्छल व 1509 धान की फसल पिछले साल से अधिक आई है। यहां बता दें कि अब तक भी जिले में मुच्छल व 1121 धान की मंडियों में खूब आवक हो रही है। क्योंकि किसानों ने भाव में तेजी आने की संभावना के चलते अपनी ये फसलें घर में ही रोकी हुई थी। फतेहाबाद की मंडी में पीआर धान की खरीद पिछले साल से 2.4 गुना व भूना में 1.2 गुना अधिक हुई है। बाकी सभी मंडियों में पिछले साल से कम खरीद हुई है।

1509 की 7.52 लाख क्विंटल हो चुकी खरीद

खरीद शुरू होने के समय 1509 का भाव किसानों को कम मिल रहा था। जिसके चलते सरकार ने इस फसल को भी एमएसपी पर खरीदने का निर्णय लिया था। लेकिन बाद में भाव में तेजी आ गई थी। जिले में पिछले साल 1509 किस्म की 4 लाख 64 हजार 694 क्विंटल की खरीद हुई थी। लेकिन इस बार अब तक जिले में 7 लाख 52 हजार 185 क्विंटल की खरीद हो चुकी है जो पिछले साल से 1.6 % अधिक है।

2.67 लाख क्विंटल अधिक बिका 1121

इस समय जिले में 1121 धान का भाव किसानों को 2500 से 2800 तक मिल रहा है। जिसके चलते जिले में अब तक पिछले साल के मुकाबले 2.67 लाख क्विंटल धान अधिक बिक चुका है। पिछले साल जिले में 1121 धान की 3.35 लाख क्विंटल खरीद हुई थी वहीं इस बार अब तक 6.02 लाख क्विंटल खरीद हो चुकी है।

कॉटन की 5 लाख क्विंटल हुई खरीद

जिले में अब तक 5 लाख 1565 क्विंटल कॉटन फसल की खरीद की गई है। जिसमें फतेहाबाद मंडी से 1 लाख 49 हजार 900 क्विंटल, भट्टूकलां मंडी से 1 लाख 26 हजार 895 क्विंटल, भूना मंडी से 2 लाख 16 हजार 928 क्विंटल, रतिया मंडी से 3775 क्विंटल, टोहाना मंडी से 3850 क्विंटल खरीद हुई है।

ये हैं परमल धान की कम खरीद होने के कारण

1. सरकार ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर दर्ज फसल ही खरीदी इसलिए हर साल बाहर से आने वाली नॉन रजिस्टर्ड फसल की खरीद नहीं हो पाई। 2. पंजीकरण नहीं होने के चलते पंजाब के किसानों की धान की खरीद नहीं हो पाई। 3. बिहार से सस्ते रेट पर धान लाकर यहां एमएसपी पर बेचने वाले दलालों का किसानों द्वारा विरोध करने से गड़बड़ी रुकी। 4. मंडियों में भी पोर्टल व गेट पास जैसी सुविधाएं शुरू होने से शैलर संचालक व अन्य बोगस खरीद नहीं कर पाए।


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