पुलिस फोर्स जैसे ही हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर की ओर बढ़ा, अचानक उसके दो मंजिला पुराने घर और आसपास की छतों से गोलियां बरसने लगीं। ऐसा लगा मानो आतंकी हमला हो गया, संभलने का मौका तक नहीं मिला। कोई जान बचाने के लिए बीच रास्ते पर खड़ी जेसीबी के पीछे जा छिपा तो कोई दीवार की आड़ में। हमलावर पुलिस फोर्स से अधिक थे और अत्याधुनिक हथियारों से फायरिंग कर रहे थे। यह कहना है मुठभेड़ में घायल बिठूर थाना प्रभारी कौशलेंद्र प्रताप सिंह का।
सीओ के नेतृत्व में थे 20 पुलिस जवान
उन्होंने अधिकारियों को बताया कि रात करीब एक बजे पुलिस टीम विकास दुबे को पकड़ने निकली थी। सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा अपनी बोलेरो से और चौबेपुर, शिवराजपुर व बिठूर थाना प्रभारी अपनी गाड़ियों से थे। थानों की दो अन्य गाड़ियों व एक थाना प्रभारी की निजी गाड़ी से भी सिपाही पहुंचे थे। कुल मिलाकर करीब 20 पुलिसकर्मी थे। विकास दुबे के घर की ओर जाने लगे तो रास्ते में जेसीबी खड़ी मिली। सभी ने गाड़ियां मुख्य सड़क पर खड़ी कर दीं और पैदल ही चल पड़े। जैसे ही टीम ने जेसीबी को पार किया कि गोलीबारी शुरू हो गई।
पहले दौर में 35 से 40 राउंड फायरिंग
पहले दौर में करीब 35 से 40 राउंड फायरिंग हुई। वह थाना प्रभारी शिवराजपुर महेश यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार सिंह दारोगा राजेंद्र कुमार के साथ ही थे। गोलियां चलते ही दीवारों व घरों की आड़ लेकर जवाबी फायरिंग की, लेकिन सामने से हो रही गोलियों की बौछार के सामने पुलिस टीम की फायरिंग बेअसर थी। विकास के घर के बाहर रोड लाइट जल रही थी। बदमाशों को पुलिसकर्मी साफ दिखाई दे रहे थे, लेकिन हम लोग अंदाजन गोली चला रहे थे। उन्होंने सबसे पहले एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार को मोबाइल फोन से सूचना दी। इसी बीच सिपाही अजय सेंगर के पेट में गोली लग गई। गंभीर हालत में किसी तरह उसे उठाकर जीप के पास आए। एसओ शिवराजपुर के रिश्तेदार विकास बाबू को भी गोली लगी है। उसने बताया कि वह गाड़ी चलाकर ले गया था। वापस गाड़ी की ओर भागा, तभी एक छर्रा उसके कमर पर जा लगा। सिपाही अजय कश्यप ने बताया कि तीन तरफ से गोलियां चल रही थीं, हम घिर गए थे।
जो बायीं ओर भागा मारा गया
हमले के बाद कुछ पुलिस वाले वापस मुख्य सड़क की ओर भागे तो कुछ पुलिस वाले दायीं ओर लेकिन, जो बायीं ओर भागा, वही बदमाशों की गोली का शिकार हुआ। विकास दुबे के घर के सामने बायीं ओर उसके रिश्ते के मामा प्रेम कुमार पांडेय का घर है। एसओ शिवराजपुर महेश यादव और चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार सिंह घायल हो गए तो उन्होंने दरवाजा खटखटाकर मदद की गुहार लगाई, इसके बाद हमलावरों ने दोनों को दरवाजे पर ही गोलियां बरसाकर हत्या कर दी वहीं, उप निरीक्षक नेबू लाल व अन्य चारों आरक्षी, सीओ देवेंद्र मिश्रा के साथ बायीं ओर जाने वाले रास्ते से भागे और कुछ दूरी पर जर्जर शौचालय में छिप गए। इसी बीच शौचालय के सामने वाले मकान से फायरिंग शुरू हो गई। इस पर सीओ देवेंद्र मिश्रा होगगार्ड जयराम के साथ बाहर की ओर भागे और दुर्भाग्य से वह प्रेम कुमार पांडेय के घर की दीवार फांदकर छिपने का ठिकाना तलाशने लगे। बदमाश भी वहीं पहुंच गए और उनकी कनपटी में गोली मार दी। दूसरी ओर शौचालय में छिपे पांचों पुलिसकर्मियों को अंदर ही गोली मारकर मार डाला गया।
विकास दुबे(Main Accused)
चौबेपुल थानाध्यक्ष विनय तिवारी जेसीबी के पीछे रहे
यूपी के कानपुर में मुठभेड़ के दौरान सीओ, इंस्पेक्टर की हत्या के मामले में चौबेपुल थानाध्यक्ष विनय तिवारी से भी पूछताछ की। इसी थाने के अंतर्गत विकास दुबे का गांव आता है। बताया जा रहा है जब विकास दुबे को पकड़ने के लिए दबिश दी गई तो बाकी थानों की फोर्स एसओ और सीओ आगे बढ़ गए मगर एसओ चौबेपुल विनय तिवारी जेसीबी के पीछे रहे। जबकि थानाक्षेत्र उनका था, इलाके में लगाए गए बीट कांस्टेबल उन्हें रिपोर्ट करते थे। गांव की भौगोलिक स्थिति के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी थी।
डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने एक सवाल के जवाब में बड़े तल्ख शब्दों में कहा कि हमारे परिवार के 8 जवान शहीद हुए हैं। पुलिस को किसी से भी पूछताछ करने का पूरा अधिकार है। उन्होंने समाज के लोगों से अनुरोध है कि पुलिस की जांच में सहयोग करें। हमारे 8 लोग मारे गए, सात लोग घायल हुए हैं। कार्रवाई तो होगी ही और सख्त कार्रवाई होगी। इस घटना ने समाज को सोचने पर भी विवश कर दिया है।
क्या था मामला
राहुल से मिली जानकारी के मुताबिक विकास ने उसके ससुर लल्लन शुक्ला की जमीन का जबरन दानपात्र में बैनामा करा लिया था। इसे लेकर राहुल ने कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया। उसी मामले में 1 जुलाई को विकास दुबे, सुनील, बाल गोविंद, शिवम दुबे, अमर दुबे ने उसे रास्ते में रोका, मारा पीटा और बंधक बना लिया। मुकदमा वापस लेने का दवाब बनाते हुए उसे जान से मारने की धमकी दी।
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