आज की सदी में डाइबिटीज़ एक बहुत ही भयंकर रोग बन के उभरा है | पूरे विश्व में तेज़ी से इससे प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़ रही है | आयुर्वेद में इसे मधुमेह के नाम से जाना जाता है | हमारे शरीर में स्थित पेंक्रियाज़ अर्थात अग्नाशय में इन्सुलिन नमक रसायन की कमी अथवा उसके असामान्य उत्सर्जन से होता है |अधिक भूख लगना , प्यास लगना , बार बार पेशाब जाना , कब्ज रहना , घबराहट आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं | व्यायाम की कमी तथा सुस्त जीवनशैली इसके प्रमुख कारण हैं |
उपचार एवं नुस्खे -
करेले का उपयोग -
करेला का प्रयोग डाइबिटीज़ में बेहद कारगर है | आप चाहें तो इसका रस निकाल कर सेवन करें अथवा सब्जी के रूप में नित्य प्रयोग करें | इसका प्रयोग आपके अग्नाशय को स्वस्थ्य रखेगा |
जामुन -
आयुर्वेद में मधुमेह के उपचार में जामुन का प्रयोग आवश्यक बताया गया है | iजामुन के मौसम में पर्याप्त मात्रा में जामुन का सेवन करें | मधुमेह में लाभ होगा | इसकी फल , छाल , गुठली एवं गूदा सब मधुमेह में लाभ पहुंचाते हैं | गुठलियों को एकत्र कर लें , धोके सुखा लें एवं चूर्ण बना कर रख लें | जब जामुन का मौसम न हो इस चूर्ण का पानी के साथ नित्य प्रयोग करने से डाइबिटीज़ नियंत्रण में रहती है |
दालचीनी -
दालचीनी का मसाले के रूप में उपयोग हर घर में होता है | डाइबिटीज़ में इसका उपयोग एक औषधि के रूप में लाभ पहुंचाता है | इसको पीस कर चूर्ण बना कर रख लें एवं चाय में अथवा गरम पानी में चुटकी भर मिला कर प्रयोग करें | इसे ज्यादा मात्रा में उपयोग न करें , हो सके तो उपयोग से पहले डॉक्टर की सलाह ले लेँ|
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