वशीकरण तिलक

वशीकरण तिलक

जैसा की वशीकरण तिलक से तो परिचित होंगे इसका अनुभूत प्रयोग किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए होता है | हिंदू परंपरा में ललाट पर तिलक लगाने के कई तरीके बताए गए हैं, तो इसे सुख-शांति देने, गौरव, आत्मविश्वास, आत्मबल व मान-सम्मान बढ़ाने तथा मन को एकाग्र करने के अतिरिक्त वशीरकण या सम्मोहन का अचूक प्रभाव देने वाल भी बताया गया है। आधुनिक जीवनशैली और तकनीक के सहारे जीवन को सहज-सरल बनाया जा रहा है। इसके साथ ही अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही हल्दी, रोली, चंदन, सिंदूर, केशर, भस्म आदि से तिलक लगाने की परंपरा के पीछे की छिपी भावनात्मक महत्व को समझने की जरूरत है।

वशीकरण तिलक
स्त्री-पुरुष सभी के द्वारा लगाया जाने वाला तिलक मनोवैज्ञानिक प्रभाव और वैज्ञानिक आधार समेटे हुए है। इसमें धार्मिक कार्य की उपयोगिता और महत्ता के निहित है। इसमें विजयोत्सव के भाव हैं।  शुभकामनाओं और शुभ संकेतों का प्रतीक है। इसमें सामने वाले को सम्मोहित करने की अद्भुत क्षमता है। तिलक लगाने वाला व्यक्ति सात्विक भावना से भरा रहता है, जिसपर देवी-देवताओं की विशिष्ट कृपा बनी रहती है। विभिन्न पर्व-त्यौहारों, धार्मिक तीर्थस्थलों, विशिष्ट आतिथि सत्कार, धार्मिक अनुष्ठानों, शुभ-संस्कारों और पूजा-पाठ के कार्य इसके बगैर संपन्न नहीं होते हैं। इसके प्रभाव में आया हुआ व्यक्ति आध्यात्मिकता और आत्मीयता की ओर अग्रसारित हो जाता है। एक तरह से यह तीसरे नेत्र के प्रतीक के रूप में बेहद चमत्कारी प्रभाव वाला है।
किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के अनेक उपायों में तिलक से वशीकरण करने के विविध तरीके बताए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि इसके द्वारा कठोर से कठोर दिल के इंसान को भी अपनी इच्छा के अनुरूप वश में किया जा सकता है। तिलक के सम्मोहन में वह शक्ति है, जिससे रूठा हुआ व्यक्ति भी अपनी सारी नाराजगी और शिकायतों को भूलकर नए सिरे से सकारात्मक भावना के साथ जुड़ जाता है। यह कहें कि तिलक में सामने वाले व्यक्ति के मन को मोहित करने की अद्भुत क्षमता होती है।
तिलक से वशीकरण के उपाय को जादू या मंत्र-तंत्र से अभिमंत्रित टोना-टोटका कहना सही नहीं होगा। इसमें संपूर्ण वैज्ञानिकता है और इससे तिलकधारी की प्रबुद्धता उभरकर सामने आ जाती है। आध्यात्म के नजरिए से मस्तिष्क के ठीक बीचो-बीच ‘आज्ञा चक्र’ बना हुआ है, जबकि विज्ञान के अनुसार दिमाग में सेराटोनिक और बीटा एंडेर्फिन रसायन का होने वाला संतुलित स्राव ही मन को उत्साहित कर सकारात्मक बनाता है। मन के विज्ञान को प्रभावित करने वाले तिलक उपायोग के प्रयोग विधि काफी सरल है।
वशीकरण तिलक बनाने के लिए अष्टगंध, हल्दी के अतिरिक्त तिलक किए जाने वाले दूसरे पदार्थों मंे रोली, सिंदूर आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इन सामग्रियों को पूजा स्थल पर रखकर विधिवत धूप और दीप दिखाए जाते हैं। पूजन के लिए अपने इष्टदेव का ध्यान किया जाता है। ध्यान के समय उपयुक्त मंत्र का जाप किया जाता है। इस तरह से तिलक अभिमंत्रित हो जाता है, जिसे लगाने के समय संबंधित उपायों का मंत्र-जाप करना आवश्यक होता है। वशीकरण तिलकों में स्त्री या पुरुष वशीकरण और सर्वजन वशीकरण तिलक मुख्य हैं। इससे न केवल ध्यान केंद्रीत करने में मदद मिलती है, बल्कि दिमागी व आंतरिक शक्ति बढ़ती है, बल मिलता है और नकारात्मक ऊर्जा बचना संभव होता है।
तिलक लगाने के मंत्र हैंः-
केशवानन्नत गोविंद बाराह पुरुषोत्तम।
पुण्यं यशस्यमायुष्मं तिलकं मे प्रसीदतु।।
कांति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम्।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम्।।
रोली, तुलसी के बीज यानि उसके सूखे मंजर से निकले दाने को पीसकर बनाए गए बुरादे और काली हल्दी को आंवले के रस के साथ मिलाकर तिलक लगाने पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे एक सम्मोहक व्यक्तित्व का उभार होता है। गोलाकार या लंबे रूप में लागाए गए इस तिलक से विवाह में आने वाली बाधा दूर हो सकती है या फिर रूठे प्रिय को मनाने या आपसी घरेलू विवाद को लेकर तनावग्रस्त दंपति के लिए रामवाण साबित हो सकता है। चाहे कितना भी बड़ा दुश्मन क्यों न हो वह  इसके प्रभाव मे आकर अपनी दुश्मनी भूल जाता है।
कामकाज में बाधा आने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति को खास किस्म के तिलक/टिका से सम्मोहितकिया जा सकता है। इसके लिए प्रत्येक गुरुवार के दिन केले के रस के साथ हरताल, असगंध और गोरेचन पीसकर मिश्रण बनाया जाता है। इसके तिलक से कारोबारी या नौकरी के क्षेत्र में आई अड़चनें दूर हो जाती हैं।
काली हल्दी, रोली, चंदन, और असगंध के मिश्रण को आंवले के रस के साथ मिलाकर वशीकरण तिलक/बिंदी लगाने से सामने वाला व्यक्ति सम्मोहित हुए बगैर नहीं रह पता है। इस तिलक का जबरदस्त असर पड़ता है और नकारात्मक विचार रखने वाला व्यक्ति भी वश में आकर सकारात्मक नजरिया प्रदर्शित करता है। चंदन का तिलक लगाने से अगर पापों का नाश होता है और धर धन्य-धान्य से भरा रहता है, तो ज्योतिष के अनुसार इससे विरोधी प्रभाव देने वाले ग्रहों से शांति मिलती है।
वशीकरण तिलक/बिंदी लगाने के लिए उंगलियों के इस्तेमाल का अलग-अलग महत्व है। जैसे धनागमन और सुख-शांति के लिए तिलक अनामिका से लगाया जाता है, मध्यमा से लगाए तिलक से आयु बढ़ती है, जबकि तर्जनी से लगाए जाने वाले तिलक से शत्रु का नाश होता है। अंगूठे से भी तिलक लगाया जाता है, ऐसा मोक्ष की प्राप्त के लिए किया जाता है। वैसे आमतौर पर तिलक चंदन या रोली से लगाने की पंरपरा है। तिलक के साथ चावल लगाने से देवी लक्ष्मी को अकर्षित किया जाता है।
वशीकरण तिलक/टिका राशि के स्वामी ग्रह के अनुसार लगाने से श्रेष्ठ लाभ की उम्मीद कर सकते हैं। जैसे मेष राशि के व्यक्ति को कुमकुम का तिलक लगाना चाहिए, जबकि वृष, तुला राशि वाले को दही और मिथुन व कन्या राशि वाले को अष्टगंध का तिलक लगाना चाहिए। इसी तरह से कर्क और सिंह राशिवाले को चंदन का तिलक लगाना चाहिए। वृश्चिक राशिवाले के लिए अगर सिंदूर का तिलक लाभदायक हो सकता है, तो धनु राशिवालों को हल्दी, मकर व कुंभ वाले को काजल और मीन वाले व्यक्ति को केसर का तिलक लगाना चाहिए।
वशीकरण तिलक/टिका को दिन के अनुसार लगाने का विधान है। कारण सप्ताह के हर दिन अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए निर्धारित किया गया है। जैसे सोमवार के दिन भगवान शिव को खुश रखने के लिए सिर्फ चंदन, जबकि मंगलवार को हनुमान की भक्ति के लिए  चंदन घुले चमेली तेल में सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए। बुधवार को सूखे सिंदूर लगाने से मां दुर्गा को प्रसन्न रखा जा सकता है, जबकि गुरुवार को हल्दी का तिलक लगाया जाता है, जिससे भगवान विष्णु की ईष्टकृपा हासिल की जा सकती है। इस दिन गोरेचन का तिलक भी लगाया जा सकता है। शुक्रवार को लाल चंदन या सिंदूर लगाकर मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है। शनिवार को विभूति, भस्म या लाल चंदन का तिलक लगाना लाभकारी होता है। यह दिन शनि, भैरव और यमराज का होता है।
जैसा की वशीकरण तिलक/टिका/बिंदी को तो आप जानते होंगे इसका अनुभूत प्रयोग कर किसी भी पुरुष और स्त्री को अपने वश में किया जा सकता है | यदि आप वशीकरण तिलक बनाने का मंत्र और इसको कैसे बनाये जानना चाहते हो तो संपर्क करे और अपनी किसी भी समस्या का समाधान पाए वशीकरण स्पेशलिस्ट गुरूजी के परामर्श के द्वारा |


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