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डेट म्यूचुअल फंड-अधिक कमाने के लिए उपयोग कैसे करें


अधिक कमाने के लिए लिक्विड फंड का उपयोग कैसे करें

बचत बैंक जमा पर ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कमी के साथ 3.5 फीसदी की कमी आई है, कई वित्तीय योजनाकार निवेशकों को अधिक रिटर्न अर्जित करने के विकल्प के रूप में अति-अल्पकालिक फंड को तरल निधि का इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं।


तरल फंड क्या हैं? जब उन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है?

लिक्विड फंड्स डेट म्यूचुअल फंड हैं जो अपने पैसे को बहुत ही अल्पकालिक मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कि ट्रेजरी बिल, सरकारी प्रतिभूतियां और कॉल मनी में निवेश करते हैं।

इन निधियों के जरिए 91 दिन की परिपक्वता अवधि तक उपकरणों में बनियाल में निवेशकों द्वारा अपने पैसे को थोड़े समय के लिए आमतौर पर 1 दिन से 3 महीने के लिए पार्क करने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपके बच्चे के स्कूल शुल्क की किश्त है, तो अगले 2 महीनों में छुट्टी की योजना बनाई है, तो आप एक लिक्विड फंड में पैसे पार्क कर सकते हैं।


*लिक्विड फंड से निवेशकों को किस तरह का रिटर्न मिलेगा? इस तरह के धन को कितनी जल्दी छुड़ाया जा सकता है?*


निवेशक अपने व्यंजनों को रिडीम कर सकते हैं और धन अगले कार्य दिवस पर अपने बैंक खाते तक पहुंचता है। लिक्विड फंड में फंड हाउस द्वारा कोई प्रवेश या निकास लोड नहीं है वैल्यू रिसर्च डेटा के अनुसार, लिक्विड फंड की श्रेणी ने पिछले साल के मुकाबले 6.56 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।


*यह ज्यादातर बचत बैंकों द्वारा उनके बचत खाते में 3.5 प्रतिशत की तुलना में अधिक है।*


*क्या इस तरह के फंडों में निवेश का कोई खतरा है?*

म्यूचुअल फंड की श्रेणी में तरल फंड को कम से कम जोखिम भरा और कम से कम अस्थिर माना जाता है। इसका कारण यह है कि वे आमतौर पर उच्च क्रेडिट रेटिंग (पी 1 +) के साथ उपकरणों में निवेश करते हैं। इन निधियों का निवल परिसंपत्ति मूल्य सप्ताहांत के साथ ब्याज आय की सीमा में परिवर्तन को देखता है


*यह श्रेणी अन्य डेट फंडों से कैसे अलग है?*


नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) के प्रयोज्यता के संबंध में अन्य डेट फंड की तुलना में तरल धन अद्वितीय हैं। किसी विशेष लेनदेन दिन (दोपहर तक उपयोग के लिए उपलब्ध धन के अधीन) के लिए दोपहर तक के निवेश के लिए, इकाइयां आवंटित हैं पिछले दिन की एनएवी

इस प्रकार पिछले दिन एनएवी प्राप्त करने के लिए केवल लिक्विड फंड ही श्रेणी है। एक विशेष लेनदेन दिन पर 3 बजे तक मोचन के लिए, इकाइयों को उसी दिन एनएवी में भुनाया जाता है और अगली सुबह बैंक खाते में जमा राशि जमा की जाती है।

मुद्रास्फीति (inflation and Mutual Funds)


मुद्रास्फीति क्या है?

सीधे शब्दों में कहें, मुद्रास्फीति समय के साथ कीमतों में वृद्धि, उपलब्ध धन के सापेक्ष है। सापेक्ष शर्तों में, कुछ साल पहले की तुलना में, कुछ निश्चित राशि आपको आज कम खरीदती है

इस उदाहरण को बेहतर समझने के लिए इसका उपयोग करें। कहें कि आप 100 रुपये के लिए एक ग्रील्ड सैंडविच खरीदते हैं। वार्षिक मुद्रास्फीति 10% है अगले साल, वही सैंडविच आपको INR 110 का खर्च आएगा। यदि आपकी आय भी कम से कम मुद्रास्फीति की दर के अनुसार नहीं बढ़ती है, तो आप सैंडविच या अन्य ऐसे उत्पादों को खरीदने में असमर्थ हैं, है ना?

मुद्रास्फीति निवेशकों को यह भी बताती है कि रिटर्न (%) कितना उनके निवेश को उनके वर्तमान / वर्तमान स्तर के रहने के लिए बनाए रखने की ज़रूरत है। उदाहरण के लिए, अगर 'एक्स' में निवेश 4% और मुद्रास्फीति 5% वापस आती है, तो निवेश पर वास्तविक रिटर्न -1% (5% -4%) होगा

म्युचुअल फंड आपको निवेश विकल्प देते हैं, जो कि मुद्रास्फीति को पराजित करने की क्षमता देता है! आप म्यूचुअल फंडों के सही प्रकार में निवेश करके अपनी क्रय शक्ति को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का लक्ष्य रख सकते हैं।


म्युचुअल फंड निवेश आपको मुद्रास्फीति को पराजित करने की क्षमता देता है! 

एसआईपी के माध्यम से निवेश आंकड़े (SIP Returns Projections)


क्या आप जानते हैं कि रुपये का मूल्य क्या होगा यदि एसआईपी के माध्यम से निवेश किया जाए तो 15% 1000 / माह?

5 साल बाद => 88,575 (60,000)
10 साल बाद => 2,75,271 (1,20,000)
15 साल बाद => 6,68,507 (1,80,000)
20 साल बाद => 14,97,239 (2,40,000)
25 साल बाद => 32,43,530 (3,00,000)
30 साल बाद => 69,23,280 (3,60,000)
35 साल बाद => 1,46,77,180 (4,20,000)
(ब्रैकेट में आंकड़े आपके निवेश हैं)
यह इक्विटी मार्केट में लॉन्ग टर्म निवेश की शक्ति है
प्रारंभिक रूप से आप शुरू करते हैं, अधिक बार आप इसे बढ़ने देते हैं।
एसआईपी शुरू करें!

2018 के लिए वित्तीय युक्तियां (Investment Options Guidance for 2018)


1. ऋण पर संपत्ति खरीदने से बचें, क्योंकि यह आपकी अधिकांश कमाई खाती है, जब तक आपके पास पुनर्भुगतान के लिए कोई स्पष्ट योजना नहीं है। कैश फ्लो की निगरानी करना महत्वपूर्ण है हालांकि, यह घर आपकी संपत्ति होगी, आपकी देयता बहुत अधिक होगी।

2. बहुत कम उम्र में एसआईपी शुरू करें। अपनी आय का कम से कम 15-25% बचत करने का प्रयास करें

3. कार खरीदने से बचें, जब तक आप इसे हर रोज नहीं इस्तेमाल करते हैं

4. इस वाक्य को डरा नहीं दें। "म्युचुअल फंड निवेश बाजार जोखिम के अधीन हैं निवेश करने से पहले कृपया दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें "। ज्यादातर लोग इस एक चेतावनी के कारण सिर्फ म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं करते हैं। हां, एक बाजार जोखिम है, लेकिन म्यूचुअल फंड्स के इतिहास और विकास को देखो।

5. एक साधारण शादी की कोशिश करो।

6. आपके कम से कम 20% धन तरल होना चाहिए ताकि आवश्यक हो जब आप इसे उपयोग कर सकें।

7. मुद्रास्फीति को देखते हुए, यदि आप बचत बैंक खाते में हैं तो आप वास्तव में पैसे खो रहे हैं। बचत बैंक खाते में भारी धन न रखें।

8. यदि आप शेयरों में निवेश करते हैं, तो ध्यान दें

9. यदि आप शेयरों में निवेश करते हैं तो डिलीवरी निवेश और इन्ट्राडे निवेश के लिए एक अलग खाता है। इस तरह की निगरानी करना आसान है और यह भी कर गणना आसान बनाता है

10. विश्वास नहीं है कि संपत्ति और कार आपको समृद्ध बनाते हैं। इसकी जो भी आप बचाते हैं और निवेश करते हैं, वह महत्वपूर्ण है।

11. कभी रिटर्न के लिए बीमा में निवेश न करें!  बीमा एक निवेश विकल्प है और एक जोखिम प्रबंधन उपकरण है

12. भव्य खर्च के लिए कभी भी क्रेडिट कार्ड का उपयोग न करें। क्रेडिट कार्ड का उपयोग बुद्धिमानी से करें और जरूरतों के लिए नहीं।
13. अपने मरने से पहले सभी क्रेडिट कार्ड रद्द करें। या अपने सभी खातों, क्रेडिट कार्ड, ऋण और खुद को बचाने के बारे में परिवार को सूचित करें। यहां तक ​​कि एक छोटे से अवशेष आपके परिवार को ज्यादा खर्च होंगे

14. अपने आप पर निवेश करें और फिर अन्य निवेशों पर।

15. हमेशा अपनी आय को अपनी बचत के साथ पहले संतुलन रखने की कोशिश करें, फिर खर्च और ऋण पर। अनावश्यक ऋण न लें हमेशा आरक्षित और उनका उपयोग करें और जब तक कि कोई अन्य ऋण न ले जाएं

16. अपने करियर, जीवन, खर्च और वित्त पर भविष्य की घटनाओं के लिए हमेशा एक योजना बनाएं।

17. आकस्मिक और तत्काल स्थितियों के लिए आपकी बचत पर हमेशा एक आरक्षित रखिए।

18. आपकी व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण निवेश हैं नियमित स्वास्थ्य की जांच करें और हर दिन स्वस्थ कसरत करें स्वस्थ रहें और खुशी से रहें

19. हमेशा याद रखें कि मृत्यु किसी भी समय हो सकती है ..... तो कृपया यदि आप पर निर्भर हैं तो पर्याप्त अवधि बीमा खरीद लें।

20. एक विल तैयार करें आपके मरने के बाद यह अनावश्यक लड़ाई से बच सकता है

इक्विटी लिंक सेविंग स्‍कीम्‍स ELSS (मिला 20 फीसदी रिटर्न)


ELSS  (इक्विटी लिंक सेविंग स्‍कीम्‍स ) में टैक्‍स बचाने वालों को मिला 20 फीसदी रिटर्न, 1 लाख हो गए 1.72 लाख रु

 इक्विटी लिंक सेविंग स्‍कीम्‍स (ELSS) के माध्‍यम से टैक्‍स बचाने वालों को पिछले तीन साल में 20 फीसदी CAGR रिटर्न मिला है। इसके चलते अगर किसी ने 1 लाख रुपए का निवेश 2015 में अप्रैल की शुरुआत में किया होगा तो आज वह बढ़कर 1.72 लाख रुपए हो गया है। निवेश का यही अकेला माध्‍यम से जहां इनकम टैक्‍स बचाने के लिए निवेश को 3 साल के लिए ही करना होता है।




क्‍या होते हैं ELSS

इक्विटी लिंक सेविंग स्‍कीम्‍स (ELSS) म्‍युचुअल फंड में निवेश का एक माध्‍यम है। यह इक्विटी म्‍युचुअल फंड होते हैं, जहां एक बार में या कई बार में निवेश किया जा सकता है। यहां पर अगर हर माह निवेश करना हो तो ज्‍यादातर ऐसे फंड में न्‍यूनतम 500 रुपए और एक बार में निवेश करना हो तो आमतौर पर 5000 रुपए का न्‍यूनतम निवेश करना होता है। हालांकि इनकम टैक्‍स बचाने के लिए अधिकतम फायदा 1.5 लाख रुपए तक ही मिलता है, लेकिन अधिकतम निवेश की कोई भी सीमा नहीं है।


क्‍यों मिलता है अच्‍छा रिटर्न

च्‍वॉइस ब्रोकिंग के प्रेसीडेंट अजय केजरीवाल के अनुसार इनकम टैक्‍स बचाने का यह अच्‍छा विकल्‍प है। यहां पर एकत्र पैसा इक्विटी में लगाया जाता है। तीन साल का लॉकइन होने के चलते ELSS फंड के मैनेसर्ज इस पैसे का लम्‍बे समय के लिए निवेश करते हैं। यही कारण है कि यह फंड अच्‍छा रिटर्न देने में कामयाब रहते हैं। अगर अप्रैल की शुरुआत में देखा जाए तो सबसे अच्‍छे ELSS फंड का रिटर्न 3 साल में 20 फीसदी CAGR दर से मिला है, वहीं एक साल में इस फंड ने ने 31 फीसदी तक का रिटर्न दिया है। CAGR का मतलब होता है कंपाउंडिड एनुअल ग्रोथ रेट, यानी हर मिले रिटर्न पर भी मिला रिटर्न।


क्‍या होता है निवेश का तरीका

फाइनेंशियल एडवाइजर फर्म बीपीएन फिनकैप के डायरेक्‍टर एके निगम के अनुसार इन फंड में 3 तरह से निवेश किया जा सकता है। एक तो किसी भी फाइनेंशियल एडवाइजर के माध्‍यम से इन्‍हें खरीदा जा सकता है। इसके अलावा अगर आपका डीमैट के साथ ट्रेडिंग अकाउंट है तो आप सीधे ऐसे फंड खरीद सकते हैं। इसके अलावा एक और तरीका है, जिसमें इसे म्‍युचुअल फंड कंपनियों की वेबसाइट से खरीदा जा सकता है। तीनों तरीके के खरीदने के अपने अपने फायदे हैं, लेकिन अगर इन ELSS फंड की अच्‍छी समझ न हो तो किसी फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद लेना अच्‍छा रहता है।


ये हैं 3 साल में अच्‍छा रिटर्न देने वाले ELSS


ELSS स्‍कीम्‍स

1 साल का रिटर्न

3 साल का रिटर्न

मोतीलाल ओसवाल लॉन्‍ग टर्म इक्विटी फंड (G)

21.8 फीसदी

20.2 फीसदी

एस्‍कार्ट्स टैक्‍स प्‍लान Direct (G)

13.6 फीसदी

16.1 फीसदी

एलएंडटी टैक्‍स सेवर फंड (G)

15.0 फीसदी

15.4 फीसदी

नोट : डाटा 6 अप्रैल 2018 तक का। 3 साल का रिटर्न CAGR में।

ये हैं 1 साल में अच्‍छा रिटर्न देने वाले ELSS



ELSS स्‍कीम्‍स

1 साल का रिटर्न

बीओआई एक्‍सा टैक्‍स एडवांटेज  Direct (G)

33.7 फीसदी

आईडीएफसी टैक्‍स एडवांटेज Direct (G) 

25.4 फीसदी

मोतीलाल ओसवाल लॉन्‍ग टर्म इक्विटी फंड  (G) 

21.8 फीसदी

सावधि जमाएं बनाम म्यूचुअल फंड (Fixed Deposits vs. Mutual Funds)


सावधि जमाएं और म्यूचुअल फंड आज निवेश के दो सबसे पसंदीदा इंस्ट्रुमेंट हैं। दोनों ही बचत बैंक ब्याज दरों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं और निवेशकों को अल्प से मध्यम अवधि में लाभान्वित करते हैं। हालांकि, निवेशकों के लिए इन दो में से एक को चुनने का निर्णय कठिन हो सकता है। हो भी क्यों न, इन निवेश श्रेणियों के अपनी अलग-अलग लाभ और हानियां जो हैं। यहां एक सरल मार्गदर्शिका दी जा रही है जो आपको सोचा-समझा निर्णय लेने में मदद करेगी।
सावधि जमाएं या फिक्सड डिपोजिट बैंकों द्वारा प्रस्तुत पारम्परिक निवेश इंस्ट्रुमेंट हैं। वे पहले से निश्चित अवधि के लिए एक स्थिर ब्याज दर प्रदान करते हैं। सावधि जमाओं को सुरक्षित निवेश माना जाता है।
वहीं दूसरी ओर, म्यूचुअल फंडों के साथ अपेक्षाकृत अधिक जोखिम होता है। उनका प्रदर्शन काफी हद तक बाज़ार की स्थितियों पर निर्भर होता है। यही कारण है कि म्यूचुअल फंडों के सभी विज्ञापनों में यह अस्वीकरण अनिवार्य रूप से होता है कि – निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं। म्यूचुअल फंडों को मोटे तौर पर इन दो श्रेणियों में रखते हैं
ईक्विटी म्यूचुअल फंड, जिनमें जोखिम अधिक होते हैं, और डेट (ऋण) म्यूचुअल फंड, जिनमें जोखिम कम होते हैं और इसलिए रिटर्न भी कम होता है।
लाभ व हानियां
सावधि जमाओं में, जमा राशि की अवधि की समाप्ति तक बहुत कम तरलता होती है। निवेशक समय से पूर्व आहरण चुन तो सकता है पर पेनल्टी चुकाए बिना नहीं। यदि ऐसा होता है तो, निवेशक को अपेक्षित रिटर्न के एक अंश से भी हाथ धोना पड़ता है। सावधि जमाओं के रिटर्न पहले से निश्चित होते हैं। वे बाज़ार की स्थितियों के विरुद्ध सुरक्षित होती हैं और यह बात इनके पक्ष में कार्य करती है।
वहीं दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड अपेक्षाकृत अधिक तरलता देते हैं। पर साथ में एक पूर्व-शर्त भी है। न्यूनतम धारण अवधि गुजरनी चाहिए और इन पर लॉक-इन अवधि भी लागू हो सकती है। म्यूचुअल फंड एक्ज़िट लोड (निकास दंड) केवल तब लगाते हैं यदि निवेश एक वर्ष से पहले निकाला जाए। पर यदि बाज़ार की स्थितियां अच्छी हैं तो म्यूचुअल फंडों को बढ़त मिल जाती है। वे निवेशक के लिए अधिक रिटर्न अर्जित करते हैं। म्यूचुअल फंडों का प्रबंधन भी पेशेवरों द्वारा किया जाता है। इसका अर्थ है कि आपकी गाढ़ी कमाई सुरक्षित हाथों में है।
तरल म्यूचुअल फंड अच्छा विकल्प क्यों हो सकते हैं
तरल फंड, म्यूचुअल फंडों की एक श्रेणी है जो मुख्यतः मनी मार्केट इंस्ट्रुमेंट में निवेश करती है। इनमें सर्टिफिकेट ऑफ डिपोजिट, ट्रेज़री बिल, वाणिज्यिक कागज़ात एवं टर्म डिपॉजिट शामिल हैं।
ये फंड ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं जिनकी अवशेषी परिपक्वता ९१ दिनों तक की होती है। निवेश की गईं आस्तियां लंबे समय तक बंधी नहीं रहती हैं। इनमें लॉक-इन अवधि भी नहीं होती है। अतः जब भी निवेशक को नकदी की ज़रूरत महसूस हो, वह नकदी निकाल सकता है। भुनाने की प्रक्रिया २४ घंटे में पूरी कर दी जाती है। संकटकाल में यह बहुत बड़ा लाभ है।
कंपनी सावधि जमाएं
कभी-कभी कंपनी सावधि जमाएं (कंपनी फिक्स्ड डिपोजिट), बैंक की सावधि जमाओं से बेहतर रिटर्न देती हैं। पर निवेश को ऐसी सावधि जमाओं में निवेश करने से पहले कंपनी के बारे में थोड़ी जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए। निवेशक को कंपनी की रेटिंग पर नज़र रखनी चाहिए। रेटिंग ऋण पात्रता दर्शाती है। आदर्श रूप से निवेशकों को एएए (AAA) रेटिंग वाली कंपनियां चुननी चाहिए। अन्य मुद्दों, जैसे कंपनी का चुकौती इतिहास आदि पर भी विचार करना चाहिए।
निर्णायक कारक
सावधि जमाओं और म्यूचुअल फंडों में से एक चुनते समय कर यानि टैक्स को मुख्य निर्णायक कारक होना चाहिए। सावधि जमाओं के मामले में, लगाया गया कर आपके वर्तमान कर स्लैब पर निर्भर करता है, चाहे जमा राशि की अवधि कुछ भी हो। म्यूचुअल फंडों की कर स्थिति मुख्यतः उनकी श्रेणी पर निर्भर करती है। एक वर्ष से अधिक समय तक धारित ईक्विटी फंडों पर कर नहीं लगता है। अल्पकालिक ईक्विटी फंडों पर १५% कर लगता है। दीर्घकालिक डेट फंड अर्जन पर सूचीकरण (इंडेक्सेशन) के साथ २०% और सूचीकरण के बिना १०% कर लगता है। वहीं अल्पकालिक पूंजी अभिलाभ (केपिटल गेन) पर निवेशक के कर स्लैब के अनुसार कर लगता है। अतः कर के मामले में म्यूचुअल फंड सावधि जमाओं से अधिक हितैषी हैं। दीर्घकालिक ईक्विटी फंड पर अभिलाभ (गेन) सर्वाधिक होता है जिस पर कोई भी कर नहीं लगता है।
ध्यानपूर्वक चुनें
सावधि जमाओं और म्यूचुअल फंडों में से एक को चुनते समय अपनी जोखिम लेने की क्षमता, निवेश की समय सीमा और अपनी रिटर्न की अपेक्षा को ध्यान में रखें। सामान्यतः सावधि जमाओं में न्यूनतम जोखिम होता है और निवेशकों के लिए वे एक सुरक्षित दांव होती हैं। ईक्विटी म्यूचुअल फंडों के साथ बाज़ार का बड़ा जोखिम होता है। वहीं डेट म्यूचुअल फंडों में ईक्विटी से कम बाज़ार जोखिम होता है। तो, क्यों न अपने पोर्टफोलियो में दोनों को रखा जाए। आखिरकार दोनों को अच्छा निवेश साधन जो माना जाता है।

म्यूचुअल फंड्स कैसे खरीदें




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म्यूचुअल फंड्स कैसे खरीदें हिंदी में How to Buy Mutual Funds म्यूचुअल फंड्स कैसे खरीदें और इनमें कैसे निवेश करें सम्पूर्ण गाइड. आसानी से समझिए कि म्यूचुअल फंड्स खरीदने के लिए कहाँ जाएँ और कहाँ से खरीदें,  ऑनलाइन खरीदें या ऑफलाइन और म्यूच्यूअल फंड खरीदने के लिए किस किस औपचारिकता को पूरा करना पड़ता है.
अक्सर मेरे इस ब्लॉग पर आने वाले लोग पूछते हैं कि How to Buy Mutual Fund? या म्यूचुअल फंड्स कैसे खरीदे? आज आपको बताते हैं कि म्यूचुअल फंड्स कैसे खरीदे. म्यूचुअल फंड्स आप ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके से खरीद सकते हैं. म्यूचुअल फण्ड में निवेश करने से पहले आप पूरी तरह शोध करके यह निश्चित करा लें कि आपको किस एसेट मैनेजमेंट कंपनी की किस  स्कीम में निवेश करना है. अलग अलग तरह के म्यूचुअल फंड्स , उनके निवेश का उद्देश्य और पिछ्ला प्रोफोर्मंस यानी प्रदर्शन भी जांच लें. हालाँकि पिछला प्रदर्शन कभी इस बात की गारंटी नहीं हो सकता कि भविष्य में भी कोई म्यूचुअल फण्ड स्कीम वैसा ही प्रदर्शन करेगी जैसा उसने पहले प्रदर्शन किया है.

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म्यूचुअल फंड्स कैसे खरीदें How to Buy Mutual Funds

ऑफलाइन :

म्यूचुअल फंड में ऑफलाइन निवेश करने के लिए आप किसी financial intermediary यानी वित्तीय मध्यस्थ की सेवा का उपयोग कर सकते हैं. इन्हें म्यूचुअल फंड वितरक कहा जाता है. आप सीधे एसेट मैनेजमेंट कंपनी के कार्यालय या रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट के कार्यालय में जा कर भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। कोई बैंक, गैर बैंकिंग वित्त कंपनी या व्यक्तिगत वित्तीय सलाहकार म्यूचुअल फंड वितरक हो सकते है।

ऑनलाइन :

म्यूचुअल फंड में ऑनलाइन निवेश करने के लिए आप म्यूचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट कंपनी की साईट पर जा कर ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं. यहाँ जा कर आपको अपना खाता बनाना होगा और एक यूजर आईडी और पासवर्ड बनाना होगा. आपको अपनी पसंद का फण्ड चुनना होगा और कितना निवेश करना है यह बताना होगा. आप अपनी जानकारी के लिए म्यूच्यूअल फंडों के प्रकार पढ़ सकते हैं. आप एसेट मैनेजमेंट कंपनी में फ़ोन करके भी सहायता प्राप्त कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के नाम और वेब पते हमने अपनी पिछली पोस्ट में दिए थे.
यदि आपका किसी ब्रोकर के पास Demat डीमैट खाता है तो आप ब्रोकर से भी म्यूचुअल फंड खरीद सकते हैं. इस प्रकार ख़रीदे गए म्यूचुअल फंड सीधे आपके Demat डीमैट खाते में आ जायेंगे.
म्यूच्यूअल फंड चाहे आप ऑफलाइन खरीदें या ऑनलाइन, आप आपने फॉर्म में SIP खरीद का आदेश भी दे सकते हैं. इसके लिए आप अपने बैंक की डिटेल दे कर ऑटोमैटिक खरीद के लिए भी कह सकते हैं.

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म्यूचुअल फंड खरीदने के लिए औपचारिकतायें:

म्यूचुअल फंड खरीदने के लिए आपको KYC फॉर्म भरना होगा और पासपोर्ट साइज़ फोटो के साथ पहचान पात्र की कॉपी, पैन नंबर  और निवास के पते का प्रमाण देना होगा.
आज से ही निवेश की आदत डालिए और अपने भविष्य के सपनों को साकार होते देखिये. म्यूचुअल फंड्स में किया गया छोटा छोटा निवेश एक दिन एक बड़ी रकम भी बन सकता है. यहाँ पढ़िए कैसे आप म्यूच्यूअल फण्ड में सिप के द्वारा छोटे छोटे  निवेश से एक करोड़ रुपये आसानी से बना सकते हैं.

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म्यूचुअल फंडों की सूची


आज हम यहाँ भारत में म्यूचुअल फंडों की सूची हिंदी में उनकी वेब साईट लिंक के साथ नीचे दे रहे हैं। भारत में म्यूचुअल फंड एक ट्रस्ट की तरह काम करते हैं और इन्हें Asset Management Companies कहा जाता है। प्रत्येक म्यूचुअल फंड (या एसेट मैनेजमेंट कंपनी) अलग उद्देश्यों के साथ विभिन्न म्युचुअल फंड योजनाओं की शुरूआत करती है.  The Association of Mutual Funds in India (AMFI) निवेशकों के हितों की रक्षा करती है.

म्यूचुअल फंड (या एसेट मैनेजमेंट कंपनी) 

यहाँ हमने आपको List of Mutual Funds in Hindi  भारत में म्यूचुअल फंडों की सूची हिंदी में एक ही स्थान पर एकत्र करके देने की कोशिश की है

एनएवी क्या है


एनएवी क्या है यह समझना आपके लिए बहुत आवश्यक है यदि आप Mutual Fund  म्यूचुअल फण्ड  में निवेश करना चाहते हैं.  जो लोग सीधे तौर पर Share Bazar शेयर बाजार में निवेश नहीं करना चाहते हैं अथवा उन्हें शेयर बाजार की जानकारी नहीं है वे लोग Mutual Fund म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर सकते हैं. Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड में निवेश करने से आपका निवेश विशेषज्ञों के हाथ में रहता है और इस प्रकार आप शेयर बाजार में सीधे निवेश के रिस्क को कम कर सकते हैं.  आज हम यहाँ सीखेंगे कि Mutual Fund म्यूच्यूअल फण्ड में NAV क्या होता है, इसको कैसे गिनते हैं और इसका क्या महत्व है. आइये विस्तार से जानते हैं NAV in Hindi के बारे में.

सीधे सीधे शाब्दिक अर्थ करें तो Net Asset Value, या NAV का अर्थ है कुल संपत्ति का मूल्य. किसी भी Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड में नेट एसेट वैल्यू , या एनएवी का मतलब  नकदी सहित पोर्टफोलियो के सभी शेयरों के बाजार मूल्य के कुल योग में से देनदारियों को घटाने के बाद बकाया जो भी बचे उसे इकाइयों की कुल संख्या से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है.

एनएवी फंड की प्रति यूनिट की कुल परिसंपत्ति मूल्य (खर्चे निकाल कर) है और हर दिन के कारोबार के अंत में उस फण्ड की एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) द्वारा इसकी गणना की जाती है। किसी भी दिन यदि उस Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड को समाप्त कर दिया जाए तो उस Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड में यूनिट धारक को प्रत्येक यूनिट के बदले जो कीमत मिलेगी वही उस यूनिट का उस दिन का एनएवी होता है. एक तरह से कह सकते हैं कि एनएवी किसी भी म्यूचुअल फण्ड की यूनिट की Book Value होती  है.
Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड में अधिकतर यूनिट की बेस वैल्यू 10 रुपये या 100 रुपये होती है. प्रत्येक कारोबारी दिवस में फण्ड के पोर्टफोलियो के बाजार मूल्य के अनुसार ही यूनिट का एनएवी घटता बढ़ता रहता है.
एनएवी का महत्व
एनएवी किसी Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड के यूनिट के ग्रोथ का परिचायक होता है. यदि आप किसी फण्ड में 12 रुपये प्रति यूनिट एनएवी पर निवेश करते हैं और एक साल बाद यदि उस यूनिट का एनएवी 15 रुपये प्रति यूनिट हो जाता है तो  उस फण्ड ने 25% ग्रोथ की है. यह धारणा गलत है कि कम एनएवी वाला Mutual Fund म्यूचुअल फण्ड अच्छा रिटर्न देगा और ज्यादा एनएवी वाला फण्ड कम रिटर्न देगा. किसी भी फण्ड के एनएवी से भूतकाल में फण्ड ने कैसे रिटर्न दिया यह तो बता सकते हैं मगर भविष्य में वह फण्ड कैसा रिटर्न देगा यह एनएवी को देख कर नहीं बताया जा सकता.

म्यूचुअल फण्डों के प्रकार और श्रेणियां


म्यूचुअल फण्डों के प्रकार :  आज हम समझेंगे कि म्यूचुअल फण्ड किस किस प्रकार के होते हैं और  इनकी कौन कौन सी श्रेणियां होती हैं. भिन्न भिन्न प्रकार  के म्यूचुअल फण्ड कहाँ और कैसे निवेश करते हैं और किस प्रकार के म्यूचुअल फण्ड में कितना रिस्क होता है. यह भी समझेंगे कि कौन सा म्यूचुअल फण्ड का प्रकार रिस्क फ्री होता है और किस में अधिक कमाई के मौके आ सकते हैं. अलग अलग तरह के म्यूचुअल फण्ड इस तरह डिजाईन कियी जाते हैं कि अलग अलग श्रेणी के निवेशक अपने जोखिम लेने की क्षमता, निवेश के लक्ष्यों, निवेश की अवधि और निवेश की राशी के अनुसार उनका चयन कर सकें.

ओपन एंडेड और क्लोज्ड एंडेड Open Ended Mutual Funds and Closed Ended Mutual Funds

जब आप Types of Mutual Funds in Hindi को समझने की कोशिश कर रहे हैं तो यहाँ आपको बता दें कि म्यूचुअल फण्डों को हम मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बाँट सकते हैं  ओपन एंडेड और क्लोज्ड एंडेड.

ओपन एंडेड योजना

ओपन एंडेड योजना में योजना अवधि के दौरान किसी भी समय निवेशक इकाइयों यानि यूनिट्स को खरीद या बेच सकता है. इसकी कोई  निश्चित मैच्योरिटी यानि परिपक्वता तिथि नहीं होती. आप जब आवश्यक हो अपने निवेश को भुना सकते हैं यानी ओपन एंडेड स्कीम में लिक्विडिटी अर्थार्थ तरलता रहती है. कुछ ओपन एंडेड फंड्स में लॉक इन पीरियड रहता है जैसे कि ELSS स्कीम. लॉक इन पीरियड के दौरान आप अपने यूनिट्स को रिडीम नहीं कर सकते. म्यूचुअल फण्डों की ओपन एंडेड फंड्स की श्रेणी में डेट फण्ड Debt Fund, लिक्विड फण्ड Liquid Fund, इक्विटी फण्ड Equity Fund और बैलेंस्ड फण्ड Balanced Fund आते हैं.
डेट फण्ड  Debt Fund में अधिकतर निवेश डिबेंचर, सरकारी प्रतिभूतियों और अन्य ऋण उपकरणों में किया जाता है. डेट फण्ड इक्विटी फण्ड के मुकाबले कम लाभ दे सकते हैं मगर कम जोखिम के साथ यह फण्ड एक निश्चित लाभ देने में सक्षम हो सकते हैं. एक स्थिर आय चाहने वालों के लिए यह फण्ड आदर्श हो सकते हैं.
लिक्विड फण्ड Liquid Fund कम समय के लिए यदि आपके पास पैसे पड़े हैं तो आप उन्हें यहाँ निवेश कर सकते हैं. लिक्विड फण्ड Short Term Debt Instruments यानि अल्पकालिक ऋण उपकरणों में निवेश करते हैं. लिक्विड फण्ड कम चार्जेज के साथ एक सुरक्षित निवेश का विकल्प प्रदान करते हैं.
इक्विटी फण्ड Equity Fund इक्विटी फण्ड शेयर बाजार में निवेश करते हैं. यह वो श्रेणी है जहां अधिकतर निवेशक म्यूचुअल फण्ड में निवेश करते हैं. हालाँकि छोटी अवधि इक्विटी फण्ड में निवेश जोखिम भरा हो सकता है मगर लम्बी अवधि में आप इन फंड्स में अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. इक्विटी फंड्स के कुछ मुख्य श्रेणियां हैं इंडेक्स फण्ड Index Fund, सेक्टोरल फण्ड Sectoral Fund, ईएलएसएस फण्ड ELSS Fund, Mid Cap Small Cap Fund मिड कैप स्माल कैप फण्ड और Diversified fund डाइवर्सिफाइड फण्ड. सभी प्रकार के इक्विटी फंड्स पर उनके निवेश के प्रकार, जोखिम और लाभ की संभावनाएं अलग  रहती हैं.
बैलेंस्ड फण्ड Balanced Fund कम जोखिम के साथ अधिक लाभ पाने की चाह रखने वाले निवेशकों के लिए इस प्रकार की योजनायें आदर्श हैं. बैलेंस्ड फण्ड पहले से निर्धारित अनुपात में इक्विटी और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. इक्विटी में निवेश फण्ड को तेजी से बढ़ने में मदद करता है और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश फण्ड को  सुरक्षित विकास की तरफ ले जाता है.

क्लोज्ड एंडेड योजना

क्लोज्ड एंडेड योजना में केवल योजना की शुरुआत में जब  NFO यानि New Fund Offer जारी किया जाता है तभी निवेश कर सकते हैं. क्लोज्ड एंडेड योजना में एक मैच्योरिटी यानि परिपक्वता तिथि पहले से निर्धारित होती है. परिपक्वता तिथि से पहले क्लोज्ड एंडेड योजना से बाहर नहीं निकला जा सकता इसलिए कह सकते हैं कि क्लोज्ड एंडेड योजना में लिक्विडिटी अर्थार्थ तरलता नहीं होती है. क्लोज्ड एंडेड योजनाओं में मुख्य रूप से दो तरह के फण्ड होते हैं कैपिटल प्रोटेक्शन फण्ड Capital Protection Fund और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान Fixed Maturity Plan.
कैपिटल प्रोटेक्शन फण्ड Capital Protection Fund में मुख्य रूप से निवेश की गई राशी को सुरक्षित रखते हुए लाभ कमाने के लिए निवेश किया जाता है. इस योजना में मुख्य रूप से फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है मगर एक छोटा भाग इक्विटी में भी निवेश किया जाता है. इन फंड्स में कैपिटल को सुरक्षित रखने का दबाव रहता है और क्योंकि यह एक क्लोज्ड एंडेड योजना होती है इसीलिए केवल निश्चित समय अवधि तक ही निवेश किया जाता है इसलिए फण्ड मेनेजर के पास अधिक रिस्क लेने की संभावना ही नहीं रहती है.
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान Fixed Maturity Plan में पहले से मैच्योरिटी का समय निर्धारित रहता है और ऐसे डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है जो फण्ड की अवधि के साथ मैच्योर हो रहे हों. इस प्रकार के फंड्स में भी चार्जेज कम रहते हैं क्योंकि फण्ड मेनेजर को पहले से निर्धारित इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करना होता है और फण्ड प्रबंधन के लिए अधिक कुछ करने की संभावना ही नहीं बचती.
तो यह थी Types of Mutual Funds in Hindi म्यूचुअल फण्डों के प्रकार के बारे में हिंदी में समझने की कोशिश. आशा है कि अलग अलग तरह के म्यूचुअल फण्डों में कैसे निवेश किया जाता है और उनमें कितना जोखिम संभव है और कितनी लाभ की संभावनाएं यह सब समझ आ गया होगा.