निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ संघर्ष समय की मांग


निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ संघर्ष समय की मांग : किरमारा

-आरक्षण का लाभ लेने वाले व मांगने वाले सरकार की मंशा को समझें और स्थाई भर्ती के लिए संघर्ष करें-

हिसार। हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष दलबीर किरमारा ने सरकार की निजीकरण व ठेका प्रथा के खिलाफ हर वर्ग से एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि निजीकरण व ठेका प्रथा जैसी नीति से सरकारी विभागों में स्थाई भर्ती का रास्ता बंद हो गया है वहीं बेरोजगारों का शोषण हो रहा है और भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।

एक बयान में दलबीर किरमारा ने कहा कि आज राजनीतिक दल अपनी रोटियां तो सेंक रहे हैं लेकिन बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव के मसले पर कुछ नहीं बोल रहे हैं क्योंकि इन मूलभूत सुविधाओं के अभाव के लिए समय-समय पर सत्ता में आने वाला हर दल जिम्मेवार है। राजनीतिक दलों ने जनता को बरगलाने का एक तरीका बनाया हुआ है कि सत्ता में रहकर जनविरोधी नीतियां लागू करो और विपक्ष में आ गये तो उसी नीति का विरोध करो। जनता को इन राजनीतिक दलों की यही सच्चाई समझनी होगी और मूलभूत सुविधाओं के अभाव के लिए हर राजनीतिक दल से जवाब मांगना होगा क्योंकि सत्तापक्ष की जितनी जिम्मेवारी है, उतनी जिम्मेवारी विपक्ष की भी है। आरक्षण मसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ हर जरूरतमंद को मिलना चाहिये लेकिन आरक्षण मसले पर जनता आपस में अपना भाईचारा खराब न करें। साथ ही उन्होंने कहा कि आरक्षण से भी ज्यादा जरूरी इस समय सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर स्थाई भर्ती करवाने के लिए संघर्ष करने की जरूरत है क्योंकि जब निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा से ही भर्तियां होने लगेगी तो आरक्षण का औचित्य ही समाप्त हो जाएगा और ठेकेदार अपने हिसाब से भर्तियां करेगा। ऐसे में जो वर्ग आरक्षण का लाभ ले रहे हैं वे भी और जो आरक्षण मांग रहे हैं वे भी आपस में किसी तकरार की बजाय सरकार की मंशा को समझें और कर्मचारी संगठनों के साथ आकर सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर स्थाई भर्तियों के लिए संघर्ष शुरू करें।

दलबीर किरमारा ने कहा कि निजीकरण व ठेका प्रथा के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना समय की मांग है और बेरोजगारों को शोषण से बचाना है तो संघर्ष ही एक विकल्प है। उन्होंने कहा कि निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से जिन युवाओं को भर्ती किया जाता है, वे शोषण का शिकार होते हैं। कहने को तो ठेकेदारी माध्यम से भर्ती होने वालों का वेतन उनके खाते में जा रहा है लेकिन इसमें भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है और परिवहन विभाग इसका उदाहरण है। सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए रोडवेज नेता ने कहा कि सरकार स्थाई भर्ती करने की बजाय ठेकेदारी माध्यम से भर्ती करके बेरोजगारों के सिर पर हर समय नौकरी से हटने की तलवार लटकाये रखना चाहती है, और यही उनके शोषण का सबसे बड़ा माध्यम है। यदि सरकार वास्तव में ही बेरोजगारों को रोजगार देना चाहती है तो हर विभाग में स्थाई भर्ती करें ताकि प्रदेश के लाखों बेरोजगारों को स्थाई रोजगार मिल सके। हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ लगातार रोडवेज सहित हर विभाग में स्थाई भर्ती की मांग करता रहा है लेकिन इस मांग को अनसुना किया जा रहा है, जो सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।


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