निशिता शाह को मोस्‍ट एलिजिबल गर्ल


मोस्‍ट एलिजिबल गुजराती गर्ल, हॉट बिजनेस वूमन और ग्‍लैमरस पायलट ये कुछ ऐसे टाइटल हैं जो निशिता शाह के लिए यूज होते रहे हैं। रोचक बात यह है कि निशिता इन सभी मानकों पर एक साथ खरी उतरती रही हैं। 



एक तरफ वह अपने फैमिली बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ा रही हैं तो दूसरी ओर अपने ग्‍लैमरस लुक के चलते हमेशा चर्चा में रहती हैं। उन्‍हें फोर्ब्‍स मैगजीन की ओर से नेक्‍स्‍ट जनरेशन बिलेनियर कहा का खिताब भी दिया जा चुका है। 



मॉजूदा दौर में वह 3.5 हजार करोड़ से ज्‍यादा का बिजनेस एंपायर संभाल रही हैं। आइए जानते हैं ग्‍लैमर और टैलेंट का बेजोड़ नमूना निशिता शाह की ग्‍लैमरस जिंदगी और बिजनेस के बारे में.

निशाता शाह का टैलेंट फोर्ब्‍स जैसी प्रतिष्ठित बिजनेस मैगजीन भी मान चुकी है। 2008 में फोर्ब्‍स उन्‍हें नेक्‍स्‍ट जनरेशन बिलेनियर बता चुकी है। 


फोर्ब्‍स ने निशिता के साथ गोल्‍फर टाइगर बुड्स और टेस्‍ला के फाउंडर एलन मस्‍क को भी जगह दी थी। ऐसे में यह माना जा सकता है कि निशिता में जरूर कोई खास बात होगी।




फोर्ब्‍स की ओर से जारी 2016 की लिस्‍ट में निशिता को थाईलैंड का 42वां सबसे अमीर शख्‍स बताया गया है।
वहीं महिला होने के लिहाज से बात की जाए तो वह थाईलैंड की पांचवीं सबसे अमीर महिला हैं। 



फोर्ब्‍स ने निशिता की कुल संपत्ति करीब 3.5 हजार करोड़ रुपए बताई है।

फोर्ब्‍स की 2016 की लिस्‍ट में निशिता को थाईलैंड की 5वीं सबसे अमीर महिला बताया गया है।

ऐक्ट्रेस बहुत सेक्सी लगा प्रतिबंध


डेनी पर बहुत सेक्सी होने की वजह से लगा प्रतिबंध
कैंबोडिया मंत्रालय ने पहले उन्हें बुलाया तो उन्हें 'बेटी की तरह शिक्षित किया' गया। लेकिन डेनी ने कह दिया कि वह जैसे चाहे वैसे कपड़े पहनने का अधिकार रखती हैं। मंत्रालय की आचार संहिता का उद्देश्य 'देश के संरक्षण, कला निर्वाह, संस्कृति, परंपरा और अस्मिता का प्रचार करना' और 'परंपरा व कला पर पड़ने वाले किसी भी नकारात्मक प्रभाव को रोकना' है।

इस आचार संहिता का हवाला देते हुए डेनी पर एक साल का प्रतिबंध लगा दिया गया। अब वह 12 महीनों तक फिल्म के लिए कैमरा के आगे नहीं आ पाएंगी।


कैंबोडिया के जेंडर ऐंड डिवेलपमेंट ग्रुप ने मंत्रालय के इस फैसले की आलोचना की है। उसका कहना है कि मंत्रालय का यह फैसला नैतिक और कानूनी दोनों ही आधार पर गलत है।ऐसा कोई कानून या नीति नहीं है जो लोगों के पहनावे को किसी तरह से प्रतिबंधित करते हों!

बिना लोन के खरीद लेंगे अपना घर - 10,000 रुपए मंथली निवेश


लोग घर खरीदने में अपनी सैलरी का बड़ा हिस्‍सा होम लोन ईएमआई के तौर पर चुकाते हैं। अक्‍सर उनको 20 से 25 साल तक होम लोन ईएमआई का बोझ उठाना पड़ता है। लेकिन आप 12 साल में बिना होम लोन के लिए अपना घर खरीद सकते हैं। इसके लिए आपको हर माह 10,000 हजार रुपए निवेश करना होगा। इस तरह से आप होम लोन पर लाखों रुपए का ब्‍याज चुकाने से भी बच सकते हैं। 

कहां करना होगा निवेश 

अगर आप 12 साल तक  हर माह 10,000 रुपए इक्विटी यूलिप पॉलिसी में निवेश करते हैं और आपके निवेश पर सालाना 16.79 फीसदी का रिटर्न मिलता है तो 12 साल के बाद आपका कुल फंड लगभग 45 लाख रुपए हो जाएगा। मौजूदा समय में मेट्रो शहरों में वन बेडरूम फ्लैट की कीमत 30 लाख रुपए से 40 लाख लाख रुपए है। कुछ इलाकों में टू बेडरूम फलैट भी 45 लाख रुपए में मिल रहा है। 
 मंथली निवेश 10000 रुपए 
अनुमानित रिटर्न 16.79%
निवेश की अवधि 12 साल 
कुल फंड 45 लाख

12 साल में फ्लैट की कीमत 

मौजूदा समय में रीयल एस्‍टेट सेक्‍टर में मंदी का दौर है। ऐसे में अगले कुछ सालों में कीमतें बढ़ने का उतना खतरा नहीं है। हालांकि अगले 12 साल में निश्चित तौर पर फ्लैट की कीमतों में इजाफा होगा तब भी अब 45 लाख रुपए में अपनी जरूरत के हिसाब से 1 बेडरूम या 2 बेडरूम फ्लैट खरीद सकते हैं। 


होम लोन की ईएमआई चुकाने से मिलेगा छुटकारा 

अगर आप इस तरह से फंड क्रिएट कर घर खरीदते हैं तो आपको 20 या 30 साल तक होम लोन ईएमआई का बोझ नहीं उठाना होगा। इसके अलावा आप होम लोन इंटरेस्‍ट के तौर पर लाखों रुपए चुकाने से भी बच जाएंगे। उदहारण के तौर पर अगर अभी आप 30 लाख रुपए का होम लोन लेते हैं ओर होम लोन पर सालाना इंटरेस्‍ट 9 फीसदी मानते हैं तो अगले बीस साल में आपको 30 लाख रुपए प्रिंसिपल अमाउंट से ज्‍यादा की रकम इंटरेस्‍ट के तौर पर चुकानी होगी।
आपकी मंथली ईएमआई भी हर माह 30 हजार रुपए के आसपास होगी। हर माह 30 हजार रुपए होम लोन की ईएमआई चुकाने के लिए मंथली इनकम कम से कम 60 से 70 हजार रुपए होनी चाहिए। लेकिन अगर किसी की इनकम 50 हजार रुपए से कम है तो वह हर माह 10 से 15 हजार रुपए म्‍युचुअल फंड में निवेश का विकल्‍प चुन सकता है।
अगर आप 12 साल हर माह 10,000 रुपए निवेश कर बिना लोन के घर खरीदते हैं तो फ्यूचर में आपके पास होम लोन ईएमआई का कोई बोझ नहीं होगा और आप ज्‍यादा पैसे बच सकते हैं और रिटायरमेंट के लिए बड़ा फंड क्रिएट कर सकते हैं। 

इक्विटी यूलिप पॉलिसी फंडों ने दिया है 20 फीसदी तक रिटर्न 

पिछले 12 माह में यूलिप पॉलिसी फंडों ने 16 से 20 फीसदी तक रिटर्न दिया है। हालांकि इक्विटी फंडों पर हमेशा ऐसा रिटर्न मिलना संभव नहीं है। क्रिसिल-एएमएफआई के डाटा के मुताबिक इक्विटी फंडो ने पिछले 10 साल में 10.45 फीसदी, पिछले 5 साल में 16.58 फीसदी और पिछले एक साल में 16.79 फीसदी रिटर्न दिया है।

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बैंकों की 50% ब्रांच हो जाएंगी बंद, आपके अकाउंट पर ऐसे होगा असर


सरकार लगातार बैंकिंग सेक्‍टर में अलग - अलग तरह के प्रयोग कर रही है। इसी कड़ी में सरकार अब जल्‍द ही  सरकारी बैंकों की 50 फीसदी ब्रांच को बंद कर सकती है। इसका सबसे ज्यादा असर छोटी ब्रांच और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर पड़ सकता है।  मोदी सरकार के इस नए फैसले से संभवत: आपका बैंक अकाउंट भी प्रभावित हो सकता है। तो आइए जानते हैं कि क्‍यों  बैंकों के ब्रांच बंद हो रहे हैं और इसका कैसे आपके बैंक अकाउंट पर असर पड़ेगा। 


प्रपोजल

दरअसल, फाइनेंस मिनिस्ट्री बदलते टेक्नोलॉजी के दौर में ब्रांच बैंकिंग पर डिपेंडेंसी कम करना चाहती है। जिसके लिए उसने बैंकों से कहा है कि वह अपनी ब्रांचेज की प्रॉफिटिबिलिटी चेक करें। जिसमें देश की ब्रांचेज के साथ-साथ विदेश की ब्रांचेज भी शामिल होंगी। 

सरकारी बैंकों की 95 हजार ब्रांचेज 


देश में इस समय सरकारी बैंकों की करीब 95 हजार ब्रांचेज हैं। जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की 20 हजार ब्रांचेज शामिल है। हालांकि सरकार के इस कदम पर कर्मचारियों में काफी गुस्‍सा है। उनका कहना है कि सरकारी बैंक की ब्रांचेज प्रॉफिटेबल हो सकती है, लेकिन उन्हें इसके लिए प्रोफेशनल रुप से बैंकिंग सर्विसेज देनी होगी। सरकार उनके जरिए सभी सोशल स्कीम भी चलाती है और बाद में उनसे कॉरपोरेट के तरह व्यवहार कराना भी चाहती है!

अकाउंट पर ऐसे होगा असर

अगर आपका बैंक अकाउंट इन बंद होने वाली ब्रांचेज में शामिल है तो सरकार के इस फैसले का असर आप पर भी पड़ने वाला है। दरअसल, आपका अकाउंट, उसी बैंक के किसी नजदीकी ब्रांच में शिफ्ट कर दिया जाएगा। पंजाब एंड सिंध बैंक के रिटायर्ड सीजीएम जीएस बिंद्रा ने बताया कि ऐसी स्थिति में  आपका अकाउंट उसी बैंक के नजदीकी ब्रांच में शिफ्ट हो जाएगा। उन्‍होंने ये भी बताया कि आपके पासबुक और चेकबुक जैसे डॉक्‍यूमेंट पुराने ही चलते रहेंगे


बैंकों को सरकार देगी 2 लाख करोड़
सरकार ने हाल ही में बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए के रीकैपिटलाइजेशन प्लान को मंजूरी दी थी। बैंकों को यह पैसा 2 साल में दिया जाना है। इसमें 1.35 लाख करोड़ का रीकैपिटलाइजेकशन बॉन्ड लाया जाएगा, वहीं, 76 हजार करोड़ रुपए बजट और बाजार से जुटाए जाएंगे। इसमें से बाजार से 58000 करोड़ जुटाने हैं। 18 हजार करोड़ रुपये इंद्रधनुष योजना के तहत दिए जाएंगे। सी के तहत बैंक सरकारी की हिस्सेदारी कम करने की योजना में हैं। 

नेक्‍स्‍ट लेवल पर पहुंचेगी ऑनलाइन शॉपिंग, बदल जाएगा ई-कॉमर्स का ट्रेंड


ई-कॉमर्स इंडस्‍ट्री भारत में तेजी से बढ़ रही है और ई-कॉमर्स कंपनि‍यां अब अपने बि‍जनेस मॉडल को बढ़ते कस्‍टमर्स और बदलती टेक्‍नोलॉजी के साथ मोडि‍फाई कर रही हैं। ऐसे में कंपनि‍यां साल 2018 में कई नई टेक्‍नोलॉजीज और स्‍ट्रैटजीज पर काम कर सकती हैं जो पूरी इंडस्‍ट्री को बदल देगा और कस्‍टमर्स की शॉपिंग एक्‍सपीरि‍यंस भी बदल जाएगी। एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि‍ आने वाले दि‍नों में ई-कॉमर्स कंपनि‍यां का फोकस आर्टि‍फि‍शि‍अल इंटेलि‍जेंस पर बढ़ेगा। इसके अलावा, नई कैटेगरीज पर कंपनि‍यों की ओर से दांव लगाया जाएगा।  

वैसे भी फाइनेंशि‍यल सर्वि‍स कंपनी मॉर्गेन स्‍टेंली की हाल ही में जारी रि‍पोर्ट के मुताबि‍क, 2026 तक भारत में ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों की संख्‍या 6 करोड़ से बढ़कर 47.5 करोड़ तक पहुंच सकती है। वहीं, एसोचैम-डेलॉयट की रि‍पोर्ट के मुताबि‍क, भारत का ई-कॉमर्स मार्केट 2018 के अंत तक 50 अरब डॉलर का हो जाएगा।   

आर्टि‍फि‍शि‍यल इंटेलि‍जेंस का बढ़ेगा यूज

ग्रेहाउंड नॉलेज ग्रुप के सीईओ संचि‍त गोगि‍या ने बताया कि‍ ई-कॉमर्स कंपनि‍यां आर्टि‍फि‍शि‍यल इंटेलि‍जेंस के इस्‍तेमाल को बढ़ांएगी। इसके जरि‍ए कस्‍टमर्स के लि‍ए बेहतर सर्च रि‍जल्‍ड को पेश कि‍या जाएगा। वहीं, मशीन लर्निंग से हर बार प्रोडक्‍ट खरीदने या सर्च करने पर सर्च रि‍जल्‍ड में सुधार आएगा। अगले साल, यूजर्स की रुचि‍ और प्राथमि‍कता को फि‍ल्‍टर करने पर जोर दि‍या जाएगा। अब तक यहां ब्राउसिंग हि‍स्‍ट्री और खरीद के आधार पर रि‍जल्‍ड आता है लेकि‍न अगले साल इससे कहीं जाता कि‍या जाएगा। 

ज्‍यादा से ज्‍यादा इन हाउस ब्रांड

ई-कॉमर्स एक्‍सपर्ट अंकुर बेसि‍न ने कहा कि‍ कंपनि‍यों के लि‍ए प्रॉफि‍ट में आना एक बड़ा चैलेंज बना हुआ है। इसलि‍ए कंपनि‍यां अपने प्‍लैटफॉर्म पर ज्‍यादा से ज्‍यादा इन हाउस ब्रांड्स का ऑफर दे रही हैं। इस साल फ्लि‍पकार्ट, मिंत्रा और अमेजन की ओर से अलग-अलग कैटेगरी में अपने ब्रांड्स को उतारा गया है। इस ट्रेंड को अगले साल भी देखा जाता सकता है। इसमें कंपनि‍यां स्‍मार्टफोन, अपैरल और कंज्‍यूमर इलेक्‍ट्रॉनि‍क कैटेगरी में ब्रांड्स को उतार सकती हैं।

वीडि‍यो पर दि‍या जाएगा जोर

साल 2017 में देखा गया है कि‍ वीडि‍यो कंटेंट की डि‍मांड कि‍तनी ज्‍यादा बढ़ी है। सोशल मीडि‍या से लेकर दूसरे प्‍लैटफॉर्म पर प्रमोशल के लि‍ए वीडि‍यो कंटेंट को यूज किया जा रहा है। एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि‍ अगले साल में ई-कॉमर्स के लि‍ए वीडि‍यो अगली बड़ी चीज होगी। आंकड़े बताते हैं कि‍ वीडि‍यो की वजह से खरीदारी में 97 फीसदी की ग्रोथ हो रही है। यह भी माना जा रही है कि‍ 2020 तक 80 फीसदी ऑनलाइन कंज्‍यूमर इंटरनेट ट्रैफि‍क वीडि‍यो से आएगा। 

नेक्‍स्‍ट लेवल पर जाएगा पर्सनलाइजेशन

आने वाले दि‍नों में पर्सनलाइजेशन को नेक्‍स्‍ट लेवल पर पहुंचाया जाएगा। अभी तक कस्‍टमर्स के लि‍ए कपड़ों के बारे में बताना और कस्‍टमर्स के हि‍साब से उसकी सिलाई कराना ही पर्सनलाइजेशन होता था लेकि‍न अब इसे आगे की बात की जाएगी जहां कस्‍टमर्स की जरूरत के हि‍साब से छुपी हुई चीजों और अनजानी चीजों के बारे में भी बताया जाएगा।

ये हैं साल के टॉप परफॉर्मिंग स्टॉकस, एक साल में दिए 3300% तक रिटर्न


इस साल सेंसेक्स ने पहली बार 34 हजार के स्तर को पार किया। वहीं निफ्टी भी 10,500 के ऊपर पहुंचा। सेंसेक्स साल के पहले दिन 1 जनवरी 2017 को 26595.45 अंक पर था जो 27 दिसंबर को ऑलटाइम हाई 34123.14 के स्तर को छूने में कामयाब रहा, जबकि निफ्टी ने 10,552.40 का ऑलटाइम हाई बनाया। इस दौरान सेंसेक्स में 28 फीसदी की ग्रोथ रही। निफ्टी 28.65 फीसदी बढ़ा। वहीं, मार्केट में लिस्टेड कुछ शेयरों में 3300 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिला है।



ये हैं साल 2017 के टॉप परफॉर्मिंग स्टॉक्स...

KIOCL Ltd
रिटर्न- 3385%
साल 2017 में सरकारी कंपनी कुद्रेमुख ऑयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) का स्टॉक रिटर्न के मामले में सबसे आगे रहा। केआईओसीएल के स्टॉक ने साल 2017 में 3385.71 फीसदी की रिटर्न दिया है। कंपनी में सरकार की 99 फीसदी हिस्सेदारी है। दूसरे क्वार्टर में कंपनी का नेट प्रॉफिट 2.35 करोड़ रुपए रहा। इस दौरान कंपनी की नेट सेल्स 451.37 करोड़ रुपए रही। 31 दिसंबर2016 को स्टॉक 11.55 रुपए पर बंद हुआ था। 26 दिसंबर 2017 को स्टॉक 402.60 रुपए के भाव पर पहुंच गया।

HEG Ltd
रिटर्न- 1305%
ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड्स बनाने वाली देश की अग्रणी कंपनी HEG Ltd के स्टॉक ने निवेशकों को मालामाल किया है। इस साल कंपनी के स्टॉक ने 1305 फीसदी का रिटर्न दिया है। एचईजी के पास ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड्स बनाने का दुनिया का सबसे बड़ा प्लांट है। कंपनी की सालाना उत्पादन की क्षमता80,000 टन है। कंपनी का 80 फीसदी रेवेन्यू ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड्स के बिजनेस से आता है। दरअसल,चीन में पर्यावरण मसले के चलते सलेक्टेड स्टील और इलेक्ट्रोड बनाने वाली कंपनियां बंद हो गई है। चीन में कंपनियों के बंद होने का फायदा भारतीय कंपनियों को मिला। वहीं वॉल्यूम और ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड्स की कीमतों में रिकवरी से कंपनी को सपोर्ट मिला। 31 दिसंबर 2016 को स्टॉक का भाव 149.25 रुपए था।

इंडियाबुल्स वेंचर्स
रिटर्न- 1276%
इंडियाबुल्‍स वेंचर्स सिक्‍युरिटीज, कमोडिटीज और करंसी ब्रोकिंग सर्विस देने वाली अग्रणी कंपनी है। इस साल इंडियाबुल्‍स वेंचर्स के शेयरों में 1162 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया। कंज्यूमर फाइनेंस बिजनेस में बढ़ोतरी कंपनी के शेयर्स बढ़े हैं। कंपनी ने डिस्बर्समेंट में तेजी लाने के लिए धनी एप्प लॉन्च किया है। साथ ही कंपनी ने क्रिकेटर एमएस धोनी को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है। फाइनेंशियल ईयर 2017 में कंपनी की ऑपरेटिंग इनकम 8.7 फीसदी बढ़ी है। सितंबर क्वार्टर में कंपनी का रेवेन्यू और ऑपरेटिंग प्रॉफिट 57.5 फीसदी और 88.6 फीसदी बढ़ा। 30 दिसंबर 2016 को स्टॉक की कीमत 19.40 रुपए थी, जो इस साल 1276 फीसदी बढ़कर 267 रुपए के भाव पर पहुंच गया।

Weizmann Forex
रिटर्न- 763%
मनी ट्रांसफर और चेंजर सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी वीजमैन फॉरेक्स के स्टॉक ने इस साल 8गुना तक रिटर्न दिया है। मनी चेंज करने के साथ ही कंपनी डिमांड ड्राफ्ट, इंश्योरेंस, म्युचुअल फंड्स,गोल्ड और मनी ट्रांसफर की भी सुविधा देती है। हाल ही में कंपनी ने अपने बिजनेस का विस्तार कर इंटनेशनल मनी ट्रांसफर बिजनेस पर फोकस बढ़ाया है। 30 दिसंबर को 2016 स्टॉक का भाव170.75 रुपए था, जो अब 763.71 फीसदी बढ़कर 26 दिसंबर को 1474.80 रुपए पर पहुंच गया।

रेन इंडस्ट्रीज
रिटर्न- 559%
रेन इंडस्ट्रीज मुख्यत: कार्बन प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरर और बिक्री करती है, साथ ही केमिकल्स और सीमेंट में कारोबार करती है। कार्बन प्रोडक्ट्स सेग्मेंट में कैलसाइन्ड पेट्रोलियम कोक (सीपीसी),ग्रीन पेट्रोलियम कोक (जीसीपी), कोल तार पिच (सीटीपी), को-जेनरेटेड एनर्जी और कोल तार डिस्टिलेशन के अन्य डेरिवेटिव्स शामिल है। कंपनी का 71 फीसदी रेवेन्यू कार्बन सेग्मेंट से आता है,जबकि केमिकल्स से 19 फीसदी और सीमेंट से 10 फीसदी रेवेन्यू जेनरेट होता है। दूसरे क्वार्टर में कंपनी का नेट प्रॉफिट 253.41 करोड़ रुपए रहा। पिछले साल समान अवधि में प्रॉफिट 131.09 करोड़ रुपए था। कंपनी के स्टॉक में इस साल 5 गुना से ज्यादा रिटर्न मिला है। 30 दिसंबर 2016 को स्टॉक का भाव 54.90 रुपए था, जबकि 26 दिसंबर 2017 को स्टॉक 361.80 रुपए पर बंद हुआ।

भूल जाएं YouTube और Facebook, 2021 में इंटरनेट से कमाई के ये 5 तरीके रहेंगे बेस्‍ट

2021 शुरू होने जा रहा है। ज्‍यादातर लोगों का सपना होता है कि आने वाले वक्‍त में हम अमीर बनें। इसके लिए वे कमाई के कुछ नए तरीकों की तलाश में भी रहते हैं। मौजूदा वक्‍त में इंटरनेट कमाई का एक बड़ा जरिया बनकर उभरा है। लोग यूट्यूब,फेसबुक,ट्विटर आदि की मदद से इंटरनेट से बढिया कमाई कर रहे हैं। लेकिन इनके अलावा भी इंटरनेट से कमाई के और जरिए मौजूद हैं,जो धीरे-धीरे लोगों के बीच अपनी पैठ बनाते जा रहे हैं। आने वाले वक्‍त में ये और ज्‍यादा पॉपुलर हो जाएंगे। आइए आपको बताते हैं कि यूट्यूब,फेसबुक से अलग इंटरनेट से कमाई के वे कौन से जरिए हैं जो आने वाले वक्‍त में छाए रहेंगे!


1.इंटरनेट मार्केटिंग एजेंसी 

अगर आपको इंटरनेट और आईटी-टेलीकॉम की अच्‍छी समझ है तो आप इंटरनेट मार्केटिंग एजेंसी शुरू कर सकते हैं। इंटरनेट मार्केटिंग एजेंसी कंपनियों के प्रॉडक्‍ट्स का वेबसाइट्स और स्‍मार्टफोन पर प्रमोशन करवाती हैं। आजकल ज्‍यादातर लोग ट्रेडिशनल मार्केटिंग के बजाय इंटरनेट मार्केटिंग का सहारा ले रहे हैं क्‍योंकि यहां खर्च कम है। केवल क्लिक्‍स के जरिए वे कस्‍टमर्स तक पहुंच भी रहे हैं। 


2. एफिलिएट मार्केटिंग 

एफिलिएट मार्केटिंग ऑनलाइन मार्केटिंग का भविष्‍य है। आज के समय में यह 192 अरब रुपए की इंडस्‍ट्री बन चुकी है। एफिलिएट मार्केटिंग एक परफॉर्मेंस बेस्‍ड मार्केटिंग सिस्‍टम है। इसमें कोई भी मार्केटर, जिन्‍हें एफिलिएट भी कहा जाता है, किसी कंपनी के प्रॉडक्‍ट का प्रमोशन अपनी वेबसाइट या ब्‍लॉग पर करता है तो कंपनियां एड पर आने वाले क्लिक्‍स और प्रॉडक्‍ट की बिक्री के हिसाब से मार्केटर को कमीशन देती हैं। हालांकि इसके लिए आपकी वेबसाइट या ब्‍लॉग की परफॉर्मेंस इतनी अच्‍छी होनी चाहिए कि गूगल उस पर एड मुहैया करा सके। इसके अलावा ऐसी कई वेबसाइट्स भी मौजूद हैं, जिन्‍हें जॉइन कर आप विभिन्‍न कंपनियों के एफिलिएट प्रोग्राम्‍स का हिस्‍सा बन सकते हैं। 



3. फ्रीलांसिग 

आप इंटरनेट के माध्‍यम से फ्रीलांसिग करके भी अच्‍छी कमाई कर सकते हैं। आज के समय में इंटरनेट मार्केटिंग एजेंसियां भी स्‍पेशलाइज्‍ड स्किल्‍स वाले लोगों को फ्रीलांसर के तौर पर हायर कर रही हैं। आप सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, वीडियो एडिटिंग, कॉपीराइटिंग, वेब डिजाइन, सोशल मीडिया मार्केटिंग, ग्राफिक डिजाइन आदि फील्‍ड्स में फ्रीलांसर बन कर कमाई कर सकते हैं। 


4. ई-प्रॉडक्‍ट क्रिएटर

आप ई-प्रॉडक्‍ट क्रिएटर बनकर भी कमाई कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आप अपनी खुद की ई-बुक क्रिएट कर उन्‍हें अमेजन किंडल या क्लिक बैंक पर बेच कर ई-प्रॉडक्‍ट क्रिएटर बन सकते हैं। इसके अलावा आप वीडियो बनाकर उन्‍हें ऑनलाइन वीडियो स्‍ट्रीमिंग वेबसाइट्स को बेचकर भी कमाई कर सकते हैं। साथ ही अगर आपको फोटोग्राफी का शौक है तो आप कुछ मोबाइल एप्‍स के साथ जुड़कर इनकी बिक्री भी कर सकते हैं।


5. मीडिया वेबसाइट या ब्‍लॉग 

भारत की बात करें तो मौजूदा वक्‍त में डिजिटल मीडिया या फिर इंटरनेट मीडिया काफी तेजी से उभर रहा है। कई लोग खुद का डिजिटल मीडिया वेंचर खड़ा कर रहे हैं। अगर आप भी जर्नलिज्‍म की समझ रखते हैं और खबरों पर आपकी पकड़ है तो आप अपनी खुद की मीडिया वेबसाइट या ब्‍लॉग भी शुरू कर सकते हैं। आप या तो अकेले या फिर जॉइंट वेंचर के तौर पर इसे शुरू कर सकते हैं। आपकी साइट पॉपुलर होने के बाद इस पर एड मॉनेटाइजेशन की मदद से कमाई भी कर सकते हैं। 

भूल जाएं YouTube और Facebook, 2018 में इंटरनेट से कमाई के ये 5 तरीके रहेंगे बेस्‍ट

2018 शुरू होने जा रहा है। ज्‍यादातर लोगों का सपना होता है कि आने वाले वक्‍त में हम अमीर बनें। इसके लिए वे कमाई के कुछ नए तरीकों की तलाश में भी रहते हैं। मौजूदा वक्‍त में इंटरनेट कमाई का एक बड़ा जरिया बनकर उभरा है। लोग यूट्यूब,फेसबुक,ट्विटर आदि की मदद से इंटरनेट से बढिया कमाई कर रहे हैं। लेकिन इनके अलावा भी इंटरनेट से कमाई के और जरिए मौजूद हैं,जो धीरे-धीरे लोगों के बीच अपनी पैठ बनाते जा रहे हैं। आने वाले वक्‍त में ये और ज्‍यादा पॉपुलर हो जाएंगे। आइए आपको बताते हैं कि यूट्यूब,फेसबुक से अलग इंटरनेट से कमाई के वे कौन से जरिए हैं जो आने वाले वक्‍त में छाए रहेंगे!


1.इंटरनेट मार्केटिंग एजेंसी 

अगर आपको इंटरनेट और आईटी-टेलीकॉम की अच्‍छी समझ है तो आप इंटरनेट मार्केटिंग एजेंसी शुरू कर सकते हैं। इंटरनेट मार्केटिंग एजेंसी कंपनियों के प्रॉडक्‍ट्स का वेबसाइट्स और स्‍मार्टफोन पर प्रमोशन करवाती हैं। आजकल ज्‍यादातर लोग ट्रेडिशनल मार्केटिंग के बजाय इंटरनेट मार्केटिंग का सहारा ले रहे हैं क्‍योंकि यहां खर्च कम है। केवल क्लिक्‍स के जरिए वे कस्‍टमर्स तक पहुंच भी रहे हैं। 


2. एफिलिएट मार्केटिंग 

एफिलिएट मार्केटिंग ऑनलाइन मार्केटिंग का भविष्‍य है। आज के समय में यह 192 अरब रुपए की इंडस्‍ट्री बन चुकी है। एफिलिएट मार्केटिंग एक परफॉर्मेंस बेस्‍ड मार्केटिंग सिस्‍टम है। इसमें कोई भी मार्केटर, जिन्‍हें एफिलिएट भी कहा जाता है, किसी कंपनी के प्रॉडक्‍ट का प्रमोशन अपनी वेबसाइट या ब्‍लॉग पर करता है तो कंपनियां एड पर आने वाले क्लिक्‍स और प्रॉडक्‍ट की बिक्री के हिसाब से मार्केटर को कमीशन देती हैं। हालांकि इसके लिए आपकी वेबसाइट या ब्‍लॉग की परफॉर्मेंस इतनी अच्‍छी होनी चाहिए कि गूगल उस पर एड मुहैया करा सके। इसके अलावा ऐसी कई वेबसाइट्स भी मौजूद हैं, जिन्‍हें जॉइन कर आप विभिन्‍न कंपनियों के एफिलिएट प्रोग्राम्‍स का हिस्‍सा बन सकते हैं। 



3. फ्रीलांसिग 

आप इंटरनेट के माध्‍यम से फ्रीलांसिग करके भी अच्‍छी कमाई कर सकते हैं। आज के समय में इंटरनेट मार्केटिंग एजेंसियां भी स्‍पेशलाइज्‍ड स्किल्‍स वाले लोगों को फ्रीलांसर के तौर पर हायर कर रही हैं। आप सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, वीडियो एडिटिंग, कॉपीराइटिंग, वेब डिजाइन, सोशल मीडिया मार्केटिंग, ग्राफिक डिजाइन आदि फील्‍ड्स में फ्रीलांसर बन कर कमाई कर सकते हैं। 


4. ई-प्रॉडक्‍ट क्रिएटर

आप ई-प्रॉडक्‍ट क्रिएटर बनकर भी कमाई कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आप अपनी खुद की ई-बुक क्रिएट कर उन्‍हें अमेजन किंडल या क्लिक बैंक पर बेच कर ई-प्रॉडक्‍ट क्रिएटर बन सकते हैं। इसके अलावा आप वीडियो बनाकर उन्‍हें ऑनलाइन वीडियो स्‍ट्रीमिंग वेबसाइट्स को बेचकर भी कमाई कर सकते हैं। साथ ही अगर आपको फोटोग्राफी का शौक है तो आप कुछ मोबाइल एप्‍स के साथ जुड़कर इनकी बिक्री भी कर सकते हैं।


5. मीडिया वेबसाइट या ब्‍लॉग 

भारत की बात करें तो मौजूदा वक्‍त में डिजिटल मीडिया या फिर इंटरनेट मीडिया काफी तेजी से उभर रहा है। कई लोग खुद का डिजिटल मीडिया वेंचर खड़ा कर रहे हैं। अगर आप भी जर्नलिज्‍म की समझ रखते हैं और खबरों पर आपकी पकड़ है तो आप अपनी खुद की मीडिया वेबसाइट या ब्‍लॉग भी शुरू कर सकते हैं। आप या तो अकेले या फिर जॉइंट वेंचर के तौर पर इसे शुरू कर सकते हैं। आपकी साइट पॉपुलर होने के बाद इस पर एड मॉनेटाइजेशन की मदद से कमाई भी कर सकते हैं। 

बैंक एफडी से दोगुना रिटर्न दे रहा ये फंड, 2000 रुपए से भी शुरू कर सकते हैं निवेश


यूलिप इक्विटी फंड बैंक एफडी से दोगुना रिटर्न दे रहा हे। मौजूदा समय में बैंक एफडी पर 6 से 7.50 फीसदी तक रिटर्न मिल रहा है। क्रिसिल-एएमएफआई इक्विटी फाड परफार्मेंस इंडेक्‍स के अनुसार इक्विटी फंड ने पिछले 5 साल में सालाना 16.58 फीसदी रिटर्न दिया है। अगर पिछले एक साल की बात करें तो इक्विटी फंड का सालान रिटर्न 15.31 फीसदी रहा है। इस तरह से आप इक्विटी फंड में निवेश कर एफडी से दोगुना रिटर्न हासिल कर सकते हैं। 

2000 रुपए से भी शुरू कर सकते हैं निवेश 
आप यूलिप इक्विटी फंड में 2000 रुपए से भी निवेश शुरू कर सकते हैं। भविष्‍य में आपके पास जब आपकी सेविंग की क्षमता बढ़ जाए तो आप अपना अपना निवेश बढ़ा सकते हैं। आप चाहें हर साल अपना निवेश 20 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं। इससे आपको लंबी अवधि में बड़ा फंड बनाने में आसानी होगी। 

 

टैक्‍स फ्री होता है रिटर्न 


यूलिप इक्विटी फंड में निवेश करने से न सिर्फ आपको बेहतर रिटर्न मिलता है! यानी इस रिटर्न पर आपको कोई टैक्‍स नहीं देना पड़ता है। वहीं एफडी पर सालाना 10 हजार रुपए तक का इंटरेस्‍ट ही टैक्‍स फ्री होता है। अगर आपको एफडी पर साल में 10 हजार रुपए से अधिक रिटर्न मिलता है तो इस पर आपको टैक्‍सेबल इनकम के हिसाब से टैक्‍स देना होता है। ऐसे में आपका एफडी पर वास्‍तविक रिटर्न और भी कम हो जाता है। 


5,000 रुपए मंथली निवेश से बन जाएगा 1.8 करोड़ 


यूलिप इक्विटी फंड में हर माह 5,000 रुपए मंथली निवेश करते हैं और आपको निवेश पर सालाना 12 फीसदी रिटर्न मिलता है तो 10 साल में आपका कुल फंड 11.6 लाख रुपए हो जाएगा। अगर आप निवेश अगले 10 साल तक और जारी रखते हैं तो 20 साल में आपका कुल फंड 50 लाख रुपए हो जाएगा। वहीं इक्विटी म्‍युचुअल फंड में आप 30 साल तक निवेश करते हैं तो आपका कुल फंड 1.8 करोड़ रुपए हो जाएगा। 

निकाल सकते हैं पैसा 
यूलिप इक्विटी फंड में लंबी अवधि के लिए ही निवेश करना चाहिए। लेकिन इसके साथ यह सुविधा है कि अगर आपको पैसे की बहुत जरूरत है और आपके पास और कोई विकल्‍प नहीं है तो आप कभी भी अपना पैसा निकाल सकते हैं।यूलिप इक्विटी फंड में जरूर लॉक इन पीरिएयड होता है लेकिन 5 yrs के पीरियड के आप जब चाहें अपना पैसा निकाल सकते हैं। 

साथ ही मिलेगा बीमा (Yearly Premium * 5 to 20)



लेने के लिए कॉल करें  +91 980 234 8567 (कौशल)

सोर्स-क्रिसिल

1 जनवरी से मोदी सरकार देगी ये 3 गिफ्ट, आप भी उठाएं फायदा


नए साल पर सरकार के ये तोहफे आपकी जिंदगी को और आसान बनाने वाले हैं। आइए जानते हैं कि नए साल की शुरुआत पर सरकार आपको क्‍या नए तोहफे देने जा रही है और इनसे आपको कैसे फायदा होगा- 

1. घर बैठे मोबाइल सिम की आधार से लिंकिंग 

1 जनवरी, 2018 से आपको घर बैठे अपनी मोबाइल सिम आधार से लिंक कराने की सुविधा मिलने वाली है। वैसे तो यह सुविधा 1 दिसंबर से शुरू होने वाली थी लेकिन टेलीकॉम कंपनियों की तैयारी पूरी न होने के चलते इसे 1 महीना आगे बढ़ा दिया गया। अब आप 1 जनवरी से ओटीपी व अन्‍य जरिए से सिम को घर बैठे आधार से लिंक कर सकेंगे। 

2. डेबिट कार्ड से भुगतान होगा आसान 

1 जनवरी, 2018 से डेबिट कार्ड से भुगतान सस्‍ता होने वाला है क्‍योंकि नए साल पर RBI द्वारा जारी नए MDR चार्ज लागू होंगे। MDR यानी मर्चेंन्‍ट डिस्‍काउंट रेट वह चार्ज है जो डेबिट कार्ड से भुगतान करने पर दुकानदार पर लगता है। इसे ग्राहक को नहीं देना होता है लेकिन कई दुकानदार डेबिट कार्ड ट्रांजैक्‍शन करने वालों से 2 फीसदी चार्ज लेते हैं। RBI के नए नियम के मुताबिक अब 20 लाख रुपए तक सालाना टर्नओवर वालों के लिए MDR 0.40 फीसदी तय किया गया है, वहीं इससे ज्‍यादा टर्नओवर वालों के लिए 0.9 फीसदी है। 20 लाख तक टर्नओवार वालों के लिए प्रति ट्रांजैक्‍शन MDR 200 रुपए से ज्‍यादा नहीं होगा वहीं 20 लाख से अधिक टर्नओवर वालों के लिए MDR प्रति ट्रांजैक्‍शन 1,000 रुपए से ज्‍यादा नहीं होगा। वहीं सरकार ने 2000 रुपए तक की खरीदारी पर MDR खुद ही वहन करने का फैसला भी किया है। 

3. गोल्‍ड ज्‍वेलरी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य

सरकार 1 जनवरी 2018 से 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट ज्वैलरी की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर सकती है। इससे ग्राहकों को गोल्‍ड ज्‍वेलरी की शुद्धता को लेकर आसानी होगी। दरअसल वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) चरणबद्ध तरीके से हालमार्किंग लागू कराना और अनिवार्य बनाना चाहती है। इसके लिए उसने ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) को सिफारिशें भी भेजी हैं। हॉलमार्किंग को तीन चरणों में अनिवार्य किया जाएगा, जिसमें 22 शहरों में पहले हॉलमार्किंग अनिवार्य की जाएगी। इन शहरों में मुंबई, नई दिल्‍ली, नागपुर, पटना जैसे शहर शामिल हैं। दूसरे चरण में 700 शहर और आखिर में देश के बाकी शहरों में इसे लागू किया जाएगा।

नए साल से वाइफ को हर रोज़ दें 100 रुपए, बन जाएंगे 99 लाख



नया साल आने में अब चंद दिन बचे हैं। इस मौके पर लगभग हर इंसान अपने और अपने परिवार के लिए कोई न कोई रिज़ॉल्यूशन लेता ही है।


इस साल आप अपनी वाइफ को हर रोज़ 100 रुपए देने का रिज़ॉल्यूशन ले सकते हैं। आपके इस खास रिज़ॉल्यूशन का फायदा होगा कि आपकी वाइफ के पास लंबी अवधि में 99 लाख रुपए का बड़ा फंड हो जाएगा। आज हम आपको बताते हैं कि कैसे हर रोज़ 100 रुपए का निवेश इतना बड़ा फंड बनेगा।

कहां करना होगा निवेश

अगर आपकी वाइफ हर रोज़ 100 रुपए 24 साल तक यूलिप इन्वेस्टमेंट प्लान में निवेश करती हैं तो  सालाना रिटर्न के आधार पर 24 साल बंद 99 लाख का फंड बन जाएगा। क्रिसिल-एएमएफआई स्माल एंड मिड कैप फंड परफार्मेंस इंडेक्स के मुताबिक जून 2017 को समाप्त पिछले सात सालों में मिड और स्माल-कैप फंडों ने सालाना 16.79 फीसदी रिटर्न दिया है।


ये है गणित.
हर माह निवेश 3,000 रुपए *
अनुमानित रिटर्न 16.79 फीसदी
निवेश की अवधि 24 साल
कुल फंड 99 लाख **

साथ ही मिलेगा बीमा Rs.7,20,000



लेने के लिए कॉल करें  +91 980 234 8567 (कौशल)

सोर्स-क्रिसिल

*excluding cgst and sgst
**

माल और सेवा कर जीएसटी (Goods and Services Tax (GST) in hindi)

माल और सेवा कर जीएसटी
(Official site gst.gov.in) 


माल और सेवा कर भारत में अप्रत्यक्ष कर है जोकि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाये जाते है. यह अप्रत्यक्ष कर माल और सेवाओं के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाया जाता है. जम्मू और कश्मीर को छोड़ कर बाकि सभी राज्यों में ये कर लागु नहीं है. अप्रत्यक्ष कर की संरचना भारत में बहुत ही जटिल है. हमे एक फ़िल्म देखने के लिए अलग से मनोरंजन कर देना पड़ता है, सामानों की खरीद के लिए अलग वैट का भुगतान करना पड़ता है. अब जीएसटी जैसा की नाम से ही पता चलता है माल और सेवा कर को अलग ना लगाकर एकल कराधान प्रणाली को लागु किया जायेगा. जीएसटी एक ऐसा कर है कि कोई भी व्यक्ति जो सामान और सेवाओं की आपूर्ति या सेवा प्रदान कर रहा है तो वह जीएसटी के कर को देने के लिए उत्तरदायी है.

जीएसटी का इतिहास (GST history)
भारत में अप्रत्यक्ष कर के शासन में सुधार की प्रक्रिया का प्रारम्भ 1986 में विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा संशोधित मूल्य वर्धित कर के रूप में शुरू किया गया था. यह एक बहुत ही लंबित मुद्दा है. जीएसटी पहली बार 2007 से 2008 के बजट सत्र के दौरान पेश किया गया था, जिसको 17 दिसम्बर 2014 को केन्द्रीय कैबिनेट मंत्रालय ने जीएसटी के प्रस्ताव को लागू करने की मंजूरी दी थी. उसके बाद 19 दिसम्बर 2014 को लोकसभा में जीएसटी विधेयक को पेश किया गया था. 2014 में यह बिल पास भी हो गया, जिसमे संविधान 122 के तहत सभी सेवाओं और उत्पादों पर इसे लागू करने की बात कही गयी थी.

भारत में जीएसटी (GST in India)
भारत में जीएसटी के लागु हो जाने से सभी तरह के टैक्स को जमा करने में सुविधा होगी. एक राज्यों से दुसरे राज्यों में सामानों या मालों को ले जाने में 25% से 30% राज्य कर के रूप में भुगतान करना पड़ता था. एंट्री टैक्स के रूप में कागजी करवाई में कई घंटे लग जाते थे अब जीएसटी के लागु हो जाने से इस प्रक्रिया में समय की बचत होगी. भारत में जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू होने की उम्मीद है. जीएसटी सिर्फ़ अप्रत्यक्ष कर पर ही लागू होगा प्रत्यक्ष कर जैसे पहले लगते थे वैसे ही अब भी लगेंगे. प्रत्यक्ष कर से तात्पर्य आय कर से है.
जीएसटी का प्रभाव (GST effect)
शुरूआती दौर में जीएसटी नाममात्र का या शुन्य की दर से लगाया जायेगा. ऐसा इसलिए किया गया है कि कई तरह के टैक्स राज्यों के द्वारा वसूले जाते है जैसे मनोरंजन कर, एंट्री कर, लग्जरी कर इत्यादि. इन सब कर से राज्यों को बहुत बड़ी आमदनी होती थी जोकि अब बंद हो जाएगी. ये उनके लिए थोड़ी परेशान करने वाली बात हो जाएगी, इसलिए यह राज्यों को जीएसटी के प्रभाव से बचाने के लिए किया जायेगा. लेकिन पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी लगाया जायेगा. केद्र सरकार ने राज्यों को ये आश्वासन दिया है कि जिस तारीख से जीएसटी लागु होगा, उसके पांच साल तक राज्यों को किसी भी तरह के राजस्व घाटा का मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा दिया जायेगा.
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जीएसटी के कार्य (GST working)
हमारे संविधान की मुख्य विशेषता यह है कि यह केंद्र और राज्यों की कराधान की व्यवस्था को विभाजित करता है, जिस वजह से दोनों अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर विशिष्ट क्षेत्रों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कर लगा सकते है. जीएसटी राज्यों के बीच कराधान की बाधाओं को दूर करके, देश भर में खरीद, बिक्री, आयात, निर्यात सभी को इस व्यवस्था के अंतर्गत ऐसे डिज़ाइन किया गया है कि यह एकल बाजार बन जाये जिससे व्यापारियों को भी आर्थिक स्वतंत्रता मिले. 25 तरह के टैक्स भारत में लगते है. जीएसटी के कार्य को समझने के लिए हमने निम्नवत उदाहरण देकर विवरण किया है जिससे आपको इसे समझने में सुविधा होगी-
निर्माता : अगर किसी वस्तु का निर्माण करने के लिए निर्माता कच्चे माल को खरीदता है, तो उसे 100 रूपये के माल पर 10% का टैक्स यानि की 10 रुपये देना पड़ता है. फिर वो जिस वस्तु का निर्माण करता है उसको सकल निर्माण में 30 रुपये मूल्य रखता है इस तरह वस्तु का मूल्य 130 रूपये हो जायेगा. फिर इसे बाजार में लाने पर आउटपुट टैक्स के रूप में 10% की दर से 13 रूपए लगेंगे लेकिन जीएसटी के तहत चुकि पहले ही 10 रूपये का भुगतान किया जा चूका है, तो निर्माता अब केवल 3 रूपये का ही भुगतान प्राप्त करेगा. इस तरह जीएसटी के लागू होने से निर्माता को 10 रूपये और 13 रूपये का अलग भुगतान न करके सिर्फ़ एक 13 रुपये का ही भुगतान करना होगा.
वितरक या सेवा प्रदाता : निर्माता अपने तैयार माल को वितरक के पास 130 रूपये में बेचता है थोक व्यापारी इसको 130 रूपये में खरीद कर फिर 20 रुपये मार्जिन लगा कर बेचेगा, जिससे इसका वर्तमान मूल्य 150 रूपए का हो जायेगा और 10 की दर से वस्तु पर कर 15 रुपये का हो जायेगा, लेकिन जीएसटी लागू हो जाने से यहाँ 13 रूपए का कर भुगतान पहले ही हो चूका है तो थोक व्यापारी को जीएसटी के तहत केवल 2 रूपये मिलेंगे.
उपभोक्ता : इसी तरह से अंत में उपभोक्ता अर्थात खुदरा व्यापारी के पास वस्तु पहुँचने पर उसका मूल्य 150 रूपये तक होता है, जिस पर वह बाजार में बेचने के लिए 10 और जोड़ देता है तो वस्तु का मूल्य 160 रूपये हो जाता है और 10% टैक्स पर 16 रूपये आयेंगे, लेकिन जीएसटी लागु हो जाने से रिटेलर को 16 रूपये टैक्स न देकर 1 रूपये देना पड़ता है.
अंततः हम जीएसटी के लागु होने से कच्चे माल, निर्माता, थोक व्यापारी और खुदरा विक्रेता को 10+3+2+1 =16 रूपये उपभोक्ता को देना पड़ेगा. इस तरह से अलग अलग टैक्स की अधिक दर को चुकता करने से उपभोक्ता बच जायेगा.
जीएसटी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया (GST registration process)
हर उस व्यापारी या आपूर्ति कर्ता को इसके अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करना होगा जिनके कारोबार 20 रूपये वार्षिक है, लेकिन उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए 10 लाख रूपये तक निर्धारित किये गए है. सरकार इसके लिए एक पोर्टल बनाएगी, जिसमे आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा जिस वजह से एक बार में ही आप अपने टैक्स को ऑनलाइन भुगतान कर सकते है.
रजिस्ट्रेशन अर्थात पंजीकरण करने के लिए जीएसटी के पोर्टल
www.gst.gov.in पर जाकर ऑनलाइन लॉग इन करे. जब आप लॉग इन होंगे तब आपको पंजीकरण फॉर्म 1 के रूप में भाग-ए को भरना होगा.
फॉर्म भरने के बाद आपको अपने मोबाइल या इ – मेल पर एक आवेदन सन्दर्भ संख्या मिलेगी.
इस संख्या को डालने के बाद जब आप दुसरे भाग को भरेंगे तो आपको कुछ आवश्यक बिजनेस के कर से सम्बंधित आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी देनी होगी.
अंत में विभाग के द्वारा आपके लिए एक पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.
अगर किसी भी तरह की त्रुटी हो गयी हो या आपके मन में किसी भी तरह का सवाल हो, तो आप विभाग में जा कर इसकी जानकारी ले सकते है, और जो भी दस्तावेज आपने दिए है उसको जीएसटी पंजीकरण संख्या 4 को साथ में लेकर कार्यालय में 7 दिन के अन्दर जमा करा दे.
आपके द्वारा जो भी सूचनाएं दी गयी है अगर किसी भी तरह की गलती कार्यालय के द्वारा पाई जाती है, तो वह आपके आवेदन को अस्वीकार कर सकता है और जीएसटी के पंजीकरण संख्या 5 के माध्यम से आपको सूचित कर देगा. जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने की अंतिम तारीख 20.03.2017 थी.
जीएसटी के प्रकार (GST types)
जीएसटी तीन प्रकार के है.
केन्द्रीय जीएसटी इसको केंद्र सरकार वसूलेगी
इंटीग्रेटेड जीएसटी यह दो राज्यों के बीच हुए व्यापार पर लगेगा, जिसको दोनों राज्यों में बराबर भागों में बांटा जायेगा इसको भी केंद्र ही लागू करेगा.
प्रांतीय जीएसटी इसको राज्य सरकार वसूलेगी
जीएसटी के तहत माल को बेचने और उसकी आपूर्ति के लिए तीनो में अलग अलग रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा और सबके लिए अलग टैक्स भर कर उसका हिसाब रखना पड़ेगा.
जीएसटी के फ़ायदे (GST benefits)
भारत में जीएसटी के लागू हो जाने से जो केंद्र और राज्यों की सरकार के द्वारा अलग अलग कर लगाये जाते थे, वो अब एकत्रित होकर एकल कर में परिवर्तित हो जायेंगे. जिस वजह से व्यापक दोहरे कराधान का भार कम हो जायेगा. इससे टैक्स की दरों में कमी आयेगी.
जीएसटी के लागु हो जाने से कोई भी अपना टैक्स चुरा नहीं सकता है इसका ये फ़ायदा होगा कि टैक्स चोरी में कमी आयेगी.
इसके लागू हो जाने से जीडीपी दर में भी 1% से 2% तक की बढ़ोतरी आ जाएगी.
सबसे बड़ा फ़ायदा इससे आम आदमी को होगा. अब किसी भी राज्य में अगर आप खरीदारी करेंगे तो आपको एक ही कीमत चुकानी पड़ेगी, जबकि पहले ऐसा नहीं होता था अलग अलग राज्यों के टैक्स दर में अंतर होने की वजह से कीमतों में भी अंतर आ जाता था.
जीएसटी के लागु हो जाने से जो विकासशील राज्य है उनकी आय में वृद्धि हो जायेगी.
जीएसटी के लागु होने से, माल ढुलाई की दर में कमी आ जाने से इसको बनाने में भी कम पैसों का खर्च होगा, जिस वजह से सामान सस्ते मिलने शुरू हो जायेंगे.
इसके लागु हो जाने से छोटे व्यवसायी वर्ग को भी फायदा होगा. अंततः इससे व्यवसायी और उपभोक्ता दोनों को फ़ायदा होगा.
जीएसटी के नुकसान (GST disadvantages)
जीएसटी के आने से छोटे व्यापारियों को नुकसान की सम्भावना ज्यादा हो सकती है.
विनिर्माण के क्षेत्र में जीएसटी नियम के तहत छोटे व्यावसायिक, जिससे वर्तमान में उत्पादन शुल्क कानून के तहत 1.50 करोड़ के लिए एक्ससाइज ड्यूटी भुगतान करना पड़ता था, लेकिन इसका विनिर्माण का कारोबार 20 लाख घट कर हो गया है जिस वजह से कर का बोझ बढ़ जायेगा.
जीएसटी के आ जाने से सञ्चालन लागत में वृद्धि होगी. कई व्यवसायी अपने लागत को बचाने के लिए नए लोगो से काम करा लेते है, लेकिन जीएसटी में नए नियम आ जाने से उन्हें व्यावसायिक सहयता की आवश्यकता पड़ेगी. जिस वजह से उन्हें पेशेवर लोगो को रखना पड़ेगा और जो नए लोगो को रखेंगे उन्हें उनके प्रशिक्षण में खर्च करना पड़ेगा जिस वजह से उन पर अतिरिक्त खर्च का दबाव आएगा.
ज्यादातर व्यापारी टैक्स रिटर्न्स भरने या दाखिला करने के लिए लेखांकन सॉफ्टवेयर या ईआरपी का उपयोग करते है, जिनमे सभी तरह के टैक्स का विवरण पहले से ही शामिल था. लेकिन जीएसटी के लागू हो जाने से उन्हें नए सॉफ्टवेयर खरीदने पड़ेंगे और अपने कर्मचारियों को भी उसके इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षित करना पड़ेगा, जिस वजह से व्यापारियों की लागत बढ़ेगी.
जीएसटी 1 जुलाई से लागू हो जायेगी और शुरुआत के 3 महीने तक इसकी छुट दी गयी है, लेकिन इस वजह से भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है, क्योकि इसको कार्यान्वित करने के लिए बहुत कम समय बच पाया है.
करों में कमी होने के बदले वृद्धि ही होगी लेकिन कपडा उद्योग और इस जैसे ही कुछ और क्षेत्रों में छुट दी गयी है. जीएसटी मे केवल 4 प्रस्तावित कर की दर है जो कि 5%, 12%, 18%, 28% है. जिस वजह से करों के बोझ की बढ़ने की सम्भावना है.
राज्यों के लिए भी यह सबसे बड़ी चिंता है की ज्यादतर टैक्स उन्हें पेट्रोलियम उत्पादों से मिलते थे, जो उनके राजस्व के लिए अच्छी कमाई का स्रोत था. किन्तु जीएसटी के आने से ये बंद हो जायेंगे इस पर केंद्र सरकार का नियंत्रण हो जायेगा.
किसी भी नई व्यवस्थाओं को लागू करने में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन एक बार अगर नियम कार्यान्वित हो जाये तो आसान इनपुट क्रेडिट प्रणाली, कम अनुपालन और एकीकृत कर प्रणाली जैसे फ़ायदे भी होंगे.
जीएसटी के अंतर्गत क्या सस्ता और क्या महंगा हुआ है (Under GST what is cheaper and costlier)
जीएसटी के आने से कुछ चीजे जहा महंगी होगी, वही कुछ चीजों के दाम में गिरावट होगी, जैसे –
जीएसटी के तहत महंगी सुविधा और वस्तु : मोबाइल बिल, बैंकिंग और निवेश प्रबंधन सेवाएँ, जीवन वीमा पॉलिसी के लिए रिन्यूअल प्रीमियम, वाई फाई, टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग और डीटीएच जैसी सुविधाओं और चीजों के दाम बढ़ेंगे. जीएसटी के तहत मौजूदा छुट को जिस जगह पर बंद कर दिया गया है उनमे शामिल है रेसीडेंसीयल आवासीय, स्वास्थ्य के देखरेख का खर्च, स्कूल की फ़ीस, करियर सेवा इसके अलावा मेट्रो और रेल का सफर भी महंगा हो सकता है. साथ ही सिगरेट, तम्बाकू की कीमतों में बढ़ोतरी होगी.
जीएसटी के तहत सस्ती वस्तुएं : जीएसटी के तहत मनोरंजन कर कम हो जाने से फिल्मों के टिकट, नाटक प्रदर्शन की कीमत और रेस्तरां में भोजन करना सस्ता हो सकता है. जीएसटी के तहत लग्जरी गाड़िया सस्ती हो सकती है इसके अलावा टीवी, वाशिंग मशीन, स्टोव इन सभी की कीमतों पर